आगरा,(ऋषिदीक्षित)।
कोरोनाकालमेंनि:संदेहपर्यावरणकेप्रतिलोगोंमेंचिंतनऔरसमर्पणबढ़गयाहै,लेकिनआगरामेंइसकीशुरुआतबहुतपहलेहोचुकीथी।इसकाजीता-जागताउदाहरणहैयमुनाकिनारेलोगोंकोशुकूनदेतीवटवाटिका।सिकंदराकेकैलाशमेंराजामहादेवमंदिरकेपासविकसितकीगईइसवाटिकामेंपंद्रहबरगदकेपेड़अबहारे-थकेलोगोंकोआसरादेरहेहैं।
वर्ष2016मेंमहाशिवरात्रिपरपर्यावरणप्रेमीबजरंगनगरनिवासीराजूपौनियानेविधि-विधानसेअपनीपरिकल्पनाकेअनुरूप,यहां15बरगदकेपेड़इसतरहलगाएथेकिवेबड़ेहोकरआपसमेंजुड़जाएंऔरकरीबतीनहजारसालतकलोगोंकोछांवदेतेरहें।आजइनपेड़ोंकीटहनियांआपसमेंजुड़गईहैंऔरधीरे-धीरेयेविशालरूपलेतेजारहेहैं।कैलाशगांवकेपश्चिममेंवटवाटिकाकामहत्वअबयमुनापरपुलबनजानेसेऔरबढ़गयाहै।यहांमथुराकेगांवोंसेआगरामेंकामकीतलाशमेंआनेवालेलोगोंकोछांवमिलतीहै।इसवाटिकाकोविकसितकरनेवालेराजूपौनियाकेअनुसारयहांबरगदकेपेड़ोंसहितपांचपीपल,दोचंदन,दोरुद्राक्ष,11कदंबऔर5अमरूदकेपेड़भीहैं,जोअबबड़ेहोगएहैं।यहीनहींयहांप्राचीनराजामहादेवमंदिरकाजीर्णोद्धारभीकरायाथा।जबसेयहांहरियालीविकसितहुईहैशहरसेतमामलोगपिकनिकमनानेभीआनेलगेहैं।वर्तमानमेंकईबेसहाराऔरसाधुसंतयहांकुटियाबनाकरनिवासकररहेहैं।जैसे-जैसेहरियालीबढ़रहीहैयहस्थानरमणीकहोताजारहाहै।वटवाटिकामेंअब400से500लोगएकसाथछांवमेंबैठसकतेहैं।
दरअसलयेभगवानभोलेकीकृपासेसंभवहुआहै।मैंऐसेहीएकदिनघूमतेहुएयहांपहुंचातोमुझेशांतिमहसूसहुई।मैंनेउसीदिनयहांहरियालीविकसितकरनेकीठानलीथी।पर्यावरणकेप्रतिगंभीरताहीसमाजकीसच्चीसेवाहै।खुशहालीकेलिएहमेंज्यादासेज्यादावृक्षलगानेचाहिए।
राजूपौनिया,पर्यावरणप्रेमी,बजरंगनगर,आगरा