वनवासी राम की कथा में भावविभोर हुए श्रोता

पोड़ैयाहाट:श्रावणीमहाकुंभकेसमापनमेंअबदोदिनशेषबचाहै।ऐतिहासिकसिंहेश्वरनाथमंदिरमेंश्रद्धालुओंकासैलाबउमड़रहाहै।आस्थाएवंश्रद्धासेवातावरणभक्तिमयबनाहुआहै।दूर-दूरगांवसेमहिलाएंपुरुषभागवतकथाकाश्रवणकरनेपूजापंडालोंमेंपहुंचरहेहैं।इसकेसाथहीसाथसिंहेश्वरनाथकीपूजा-अर्चनासेअपनेकोधन्यमहसूसकररहेहैं।आचार्यओमप्रकाशजीमहाराजनेमंगलवारकोरामकथाकेप्रवचनमेंकहाकिनिर्वासितरामकेपासक्याथा,कुछनहीं।फिरभीवेजहांजातेजन-जनउनसेजुड़तेगए।सुखवैभवउनकेपासनहींथा।वनमेंउन्हेंखुदआश्रयऔरसहयोगचाहिएथा।एकवनवासीलोगोंकोक्यादेता,लेकिन14वर्षतकलोगउनकेपीछेचलतेरहे।इसकासिर्फएककारणथाकिवेअपनेकर्तव्यसेभागेनहीं।डटकरशांतिकेसाथउसेनिभाया।ऊंच-नीचकाख्यालनकरसबकोगलेलगाया।व्याकुलमनुष्यताकोबतायाकिदर्दकीदवातोवेस्वयंहैं।वेविनम्रबनेरहेऔरजोविनम्ररहताहै,सबकेगुणोंकोपहचानताहैवहीलोकसंग्रहकरसकताहै।

उन्होंनेरामकेवनवासकेप्रसंगकोआगेबढ़ाया।मुनियोंकेआश्रमोंमेंभेंट,इसबीचभरतसेमिलापकीकथासुननेआएश्रोताओंकोभावविभोरकरगई।वनवासकेविभिन्नप्रसंग,हनुमानसेउनकीभेंटकाप्रसंगभीआचार्यनेसुनाया।उन्होंनेकहाकिरामनेसंसारकोयहसंदेशदियाकिपरिस्थितिसेभागकरशांतिनहींमिलती।नवनिर्माणकेलिएतूफानजरूरीहै।वंदनीयवहहोताहैजोहरपलअपनेअश्रुओंकाअ‌र्घ्यप्रभुकोअर्पणकरताहै।जोलक्ष्योंकोनिर्धारितकरहरक्षणउसेपूराकरनेकाप्रयासकरताहै।

श्रावणीमहाकुंभकेअध्यक्षराघवेंद्रसिंह,सचिवनंदलालयादव,कोषाध्यक्षमिथिलेशयादवएवंआसपासकेग्रामीणोंनेसेवाभावसेसहयोगकररहेहैंजिससेश्रावणीमहाकुंभकासफलआयोजनहोपारहाहै।