विदेशों तक जाती हैं खीरी की बनी सूतफेनी

लखीमपुर:रमजानकेपवित्रमहीनेमेंइफ्तारवसहरीकेदसतरख्वानपरजहांतरह-तरहकेलजीजपकवाननजरआतेहैंवहींइनपकवानोंमेंखीरीकीसूतफेनीकाअपनाअलगस्वादहै।सहरीमेंसूतफेनीखाकरसुन्नतअदाकीजाएतोमजाहीअलगहै।

कस्बाखीरीकीबनीसूतफेनीकीमांगदेशमेंहीनहींबल्किपड़ोसीमुल्कनेपालमेंभीकाफीहैइसकेआलावासऊदीअरब,बहरीनवकनाडामेंभीलोगसूतफेनीबड़ेचावसेखातेहैं।कस्बेमेंलगभगएकदर्जनसेज्यादापरिवारलघुउद्योगकीतर्जपरसूतफेनीबनानेकाकामकरतेहैंवैसेतोसालभरसूतफेनीबनानेकाकामचलतारहताहैऔरबनाकरबाहरभेजीजातीहैं,लेकिनरमजानमेंएकमहीनेपहलेसेबड़ेपैमानेपरसूतफेनीबनानेकाकामयुद्धस्तरपरशुरूहोजाताहै।सालभरकेरोजीवजीवनयापनकासाधनसूतफेनीकीबिक्रीसेहोनेवालीआमदनीहोतीहै।मुहल्लातबेलानिवासीसालिहांबतातीहैंकियहउनकापुश्तैनीकामहै।उनकेपतिवससुरमोहर्रमसालभरसूतफेनीबनानेकाकामकरतेथे।रमजानकेमहीनेमेंरातदिनकामचलताहै।कारीगरराजूसिद्दीकीबतातेहैंकिघीवमैदेकोमिलाकरपांचघंटेतकगूथाजाताहै।जिससेउसमेंरेशेपड़जातेहैंफिरइसेगरमघीमेंडालकरलच्छाबनायाजाताहै।70रूपयेकिलोथोककेभावबिक्रीकीजातीहैं।कनाडासउदीवबहरीनमेंरहनेवालेभारतीयसूतफेनीखीरीसेलेजाकरगिफ्टकरतेहैं।वहांकेलोगबड़ेचावसेखीरीकीबनीसूतफेनीखातेहैं।

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