विचारों की ताकत से आर्थिक समृद्धि की ओर भारत, खुद को तैयार करने की आवश्यकता

[डॉ.विकाससिंह]देशकीआर्थिकक्षमताबढ़ानेकेलिएएकसमग्रवितरणमॉडलविकसितकरनेकीजरूरतहै।एकहालियाअध्ययनयहदर्शाताहैकिअर्थव्यवस्थामें150करोड़रुपयेकेनिवेशसेआगामीएकदशकमेंकरीबडेढ़करोड़नईनौकरियोंकेअवसरसृजितहोसकतेहैं।चिकित्सा,पर्यटनऔरशिक्षाजैसेक्षेत्रोंमेंहमारेयहांव्यापकअवसरहैं।सरकारयदिइससंबंधमेंसक्षमपरिवेशविकसितकरे,तोइसअवसरकोभुनानेकेलिएहमारीडेमोग्राफीऔरप्रतिभाइसमेंसकारात्मकसहयोगीकीभूमिकामेंहोगी।यहहमारीजीडीपीकोभीबढ़ानेमेंसक्षमहोसकताहै

हमएकऐसेयुगमेंरहतेहैं,जहांपरस्परनिर्भरताबढ़रहीहैऔरतेजीसेबदलावहोरहाहै।इसकाअधिकांशहिस्सानईतकनीकोंमसलनकंप्यूटिंग,इंटरनेटऔरमोबाइलकनेक्टिविटीद्वारासंचालितहै।डिजिटलरूपसेजुड़ीदुनियाकीदक्षता,नवाचारऔरगति,अधिकसंपन्नअर्थव्यवस्थाओंकेलिएहीनहीं,बल्किउनलोगोंकेलिएभीलाभकोबढ़ासकतेहैंजोअच्छीतरहसेतैयारहैं।

भारतऔपनिवेशिकशासकोंकेहाथोंपीड़ितथातथाआर्थिकरूपसेहाशिएपरथाऔरपहलीऔद्योगिकक्रांतिसेहमेंकोईफायदानहींमिला।स्वतंत्रताकेबादहमारेगलतनीतिगतढांचेनेहमेंपर्याप्तविकाससेवंचितकिया।इसीतरहहमसुधारकेबादकेअवसरकोभुनानेमेंअसफलरहेऔरअपनीक्षमताकेअनुरूपप्रदर्शननहींकरसके।आर्थिकस्वतंत्रताकेशुरुआतीसमय1991मेंकियागयावादाअभीतकएकपरिपक्वबाजारअर्थव्यवस्थामेंविकसितनहींहुआहै।हालांकिपिछलातीनदशकफिरभीफायदेमंदरहाहै।हमक्रयशक्तिअनुरूपतामेंतीसरीसबसेबड़ीअर्थव्यवस्थाकेरूपमेंउभरेहैं,जिससेअर्थव्यवस्थाकाआकारलगभगनौगुनाबढ़गयाहै।दुनियाकीबढ़तीआर्थिकगतिविधियोंमेंहमारीअर्थव्यवस्थाकाहिस्सालगभगआठप्रतिशतहै।उच्चऔरस्थायीविकासनेलाखोंलोगोंकोगरीबीसेनिकालाहै।सामाजिकस्तरपरकईअन्यसकारात्मकचीजेंभीहैंजोयहबतातीहैंकिनीतिगतसुधारविकासकेमुख्यकारकहोतेहैंजोगतिशीलताकोबढ़ातेहैंऔरविकासकेमल्टीप्लायरहोतेहैं।

अनेकस्तरपरहमनेविकासकेलक्ष्योंकोहासिलजरूरकियाहै,लेकिनआयअसमानताओंकेसाथ,जिसनेभारतीयनागरिकोंकेपांचवेंहिस्सेकोमूलसुविधाओंसेवंचितकरदियाहै।यहबड़ीआर्थिकगतिविधियोंसेजोड़नेवालेमध्यवर्गकोमिटादेताहैतथालागतबढ़ानेमेंमहत्वपूर्णयोगदानदेताहै।हमसंसाधन-संचालितविकास(सस्तेश्रमऔरपूंजीद्वाराप्रेरित)कोउत्पादकता-संचालितविकासमेंपरिवर्तितहोनेमेंविफलरहेहैं।

इसकेअलावा,भारतकोअर्थपूर्णनईचुनौतियोंकासामनाकरनापड़रहाहै,जिसेकेवलसक्षमआर्थिकपरितंत्रतैयारकरदूसरोंकेबीचहलकरसकतेहैं।हमारेनीतिनिर्माताउदासीनहैंतथाआर्थिकमुद्दोंपरसंकीर्णरूपसेध्यानकेंद्रितकरतेहैं,जबकिहमारासिस्टमसरकारीहस्तक्षेपसेघिराहोताहै।लाइसेंस-परमिट-इंस्पेक्टरराजनुकसानपहुंचाताहैऔरअवरोधपैदाकरताहै,जोएमएसएमईतथारोजगारसृजनकर्ताओंऔरविकासइंजनकोखत्मकरताहै।इससेनिजीक्षेत्रकाभरोसाखत्महोरहाहै।

आपूर्तिकेस्रोतोंकासमापन

अधिकांशऔद्योगिकराष्ट्रोंनेआपूर्तिकेअपनेस्नोतोंकोसमाप्तकरदियाहैऔरअबअन्यस्नोतोंकीओरतेजीसेबढ़रहेहैं।मध्यपूर्वयाखननक्षेत्रकेतेलउत्पादकदेशोंकोकहींअधिकलाभहुआऔरउनकाकाफीविकासभीहुआ।यहपैटर्नफिरसेसामनेआरहाहै।विकसितदुनियाकीजनसांख्यिकीमेंविशेषरूपसेपिछलीसदीकेजापानऔरपश्चिमीयूरोपजैसेआर्थिकदिग्गजोंकोपेशेवरोंकीकमीकासामनाकरनापड़रहाहै।प्रतिकूलजनसांख्यिकी(कमजन्मदर,बुजुर्गोकाबढ़ताअनुपात)कोअनुकूलबनानेमेंदशकोंलगतेहैं।वेकमीकोपूराकरनेकेलिएज्ञानईंधनकीतलाशमेंहैं,जबकिभारतइसमामलेमेंअच्छीस्थितिमेंहै।

पश्चिमीअर्थव्यवस्थाओंकेविकासप्रतिमानकोज्ञानऔरकुशलपेशेवरकीतलाशहै।अनुभवजन्यसाक्ष्यबतातेहैंकिपिछलीसदीकेआखिरीदशकमेंअमेरिकीअर्थव्यवस्थाकाविकासएकसक्षमपारिस्थितिकीतंत्रकीनींवपरहुआ।कुशलमानवसंसाधनोंसेउत्पादकताबढ़ानेमेंमददमिली।

कौशलविकासपरहोजोर

हमारेउद्योगकोगंभीरविपरीतपरिस्थितियोंऔरअधिकलालायितअर्थव्यवस्थाओंसेअन्यबड़ीचुनौतियोंकासामनाकरनापड़रहाहैऔरहमेंमददकीआवश्यकताहोगी।कमजोरयोजनाओंवखराबतरीकेसेलागूकिएगएकौशलविकासकार्यक्रमोंमेंसरकारकेनिवेशपरफिरसेध्यानदेनेकीआवश्यकताहै।

भारतकेलिएविकासएकअनिवार्यताहै।जबकिहमसबसेतेजीसेबढ़तीअर्थव्यवस्थाओंमेंसेहैं।आठप्रतिशतसेकमकीविकासदरएकमहत्वपूर्णबेरोजगारीकीओरलेजातीहै,जोकमखपत,कमजोरमांगऔरगोल-मटोलनिवेशकेदुष्चक्रकोबढ़ावादेताहै,विकासकोअवरुद्धकरताहै,गरीबीकोबढ़ाताहै,हमारेएकतिहाईलोगोंकोगरिमापूर्णजीवनसेवंचितकरताहै।

भारतीयबुद्धिजीवियों,यहांतककिनीतिनिर्माताओंनेभीविकासमॉडलकेलिएलंबेसमयतकपश्चिमकीओरतथाइधर-उधरयानीआजसिंगापुर,कलदक्षिणकोरियाऔरउसकेबादड्रैगनकीतरफदेखनेकाहीकामकियाहै।हमनेअपनीताकततथाप्रतिस्पर्धीफायदोंकोनजरअंदाजकरदियाहैऔरहरकिसीकेलिएसबकुछकरनेकाप्रयासकररहेहैंऔरदुर्भाग्यसेहमजोकुछभीसामनेलातेहैं,उनमेंसेज्यादातरकोसाकारकरनेमेंअसफलरहेहैं।

उत्पादतैयारकरनेकीयोजना

यद्यपिहमेंखुदकोतैयारकरनेकीआवश्यकताहैऔरहमारीयोजनादुनियाकेलिएउत्पादकबननेकीहै।दुनियाकेउत्पादककेतौरपरखुदकोस्थापितकरनेकेलिएहमेंकाफीजोरलगानापड़ाहै।हालांकियहनिश्चितरूपसेप्रशंसनीयहैऔरलक्ष्यदीर्घकालिकहोनाचाहिए।हमेंयहसमझनाहोगाकिभारतमेंकईअंतíनहितकमजोरियांहैंऔरसरकारकोआधुनिकविनिर्माणकीजरूरतोंजैसेआधुनिकतकनीक,स्पष्टता,परिपक्वतातथाउचितगुणवत्ताकेसाथ-साथउन्नयनऔरप्रतिस्पर्धाकरनेकेलिएउच्चतकनीकआधारितअनुसंधानएवंविकासपरध्यानदेनेकीजरूरतहै।अकुशलश्रमऔरकमपूंजीकीतुलनामेंपूंजीऔरकुशलश्रमपरनिर्भरताइसकीप्रमुखविशेषताहै।अतिआवश्यकतकनीकीविशेषज्ञोंकीभारीकमीहै।निश्चितरूपसेहमारेलिएयहीसबसेबड़ीचुनौतीहै।साथहीएकमौलिकप्रश्नयहहैकिक्याकुलमिलाकरभारतकालक्ष्ययहीहोनाचाहिए?क्याहमअपनीताकतकोभूलरहेहैं?भारतअपनीताकतकेअनुसारकामनहींकररहाहै।ऑटोक्षेत्रकीतुलनामेंकपड़ाक्षेत्र80गुनाअधिकश्रम-गहनहै।साथहीयहस्टीलक्षेत्रसे240गुना,लेदरक्षेत्रसे33गुनाअधिकश्रम-गहनहैऔरइसमेंतीनकरोड़सेअधिकलोगोंकोरोजगारदेनेकीक्षमताहै।

(मैनेजमेंटगुरुतथावित्तीयएवंसमग्रविकासकेविशेषज्ञ)