उद्धार की राह देखती शौनक यज्ञशाला

नैमिषारण्य(सीतापुर):88हजारऋषियोंकीभूमिपरपौराणिकधार्मिकस्थलअनदेखीकेशिकारहैं।यहांप्रतिदिनदेशविदेशसेश्रद्धालुदर्शनपूजनकेलिएआतेहैं।लेकिनप्राचीनस्थलोंकीदुर्दशादेखकरश्रद्धालुकुंठितहोतेहैं।नैमिषारण्यक्षेत्रमें84कोसकीपरिधिमेंसैकड़ोंप्राचीनतीर्थविराजमानहैं।लेकिनअनदेखीवसंरक्षणकेअभावमेंआजयहलुप्तप्रायहोनेकीकगारपरहैं।इनमेंहीप्रमुखस्थलहैसूतगद्दीकेनिकटशौनकयज्ञशाला।यहयज्ञशालाअत्यंतप्राचीनहैं।कहाजाताहैकिशौनकऋषिकभीयहांमानवकल्याणकीभावनाकेसाथयज्ञकियाकरतेथे।प्राचीनस्थलोंमेंशुमारइसयज्ञशालाकाआजभीबहुतमहत्वहै।दूर-दूरसेआनेवालेश्रद्धालुइसेदेखकरहाथजोड़लेतेहैं।इसकीदर्दशादेखकरलोगमनमसोसकररहजातेहैं।यज्ञशालाकेआसपाससफाईभीसंतोषजनकनहींहै।जंगलकेकिनारेस्थितयज्ञशालाकेसुंदरीकरणकीबहुतजरूरतहै।पतानहींकबइसप्राचीनयज्ञशालाकीसुधिलीजाएगी।चंदनशास्त्रीबतातेहैंकिशौनकमहाराज88हजारऋषियोंकेकुलपतिथे।यज्ञशालाउनकेद्वारानिर्मितकीगईथी।इसकासंरक्षणकियाजानाबहुतजरूरीहै।इसपौराणिकयज्ञस्थलकीउपेक्षादेखकरमनदुखीहोगया।यहबहुतधार्मिकमहत्वकास्थलहै।

सुनीलमालाकार,बांग्लादेश

इसयज्ञशालातकआनेवालामार्गबहुतखराबहै।मार्गमेंजलभरावसेअसुविधाहोतीहै।

नंदरानी,कोलकाता

पौराणिकताकोसंजोएयहस्थानदुर्दशाकीस्थितिमेंहै।इसकाजीर्णोद्धारअत्यंतआवश्यकहै।

अरुणारावल,अहमदाबादप्राचीनधार्मिकस्थलोंकेसुंदरीकरणकेलिएकार्यप्रस्तावितहै।आचारसंहिताखत्महोनेकेबादप्रक्रियाशुरूहोगी।

राजीवपांडेय,एसडीएम