तंत्रिका विज्ञान के प्रोफेसर ने रची हिमालय पर तीसरी पुस्‍तक, हिम-यायावरी का अनोखा यात्रा वृत्तांत

नईदिल्‍ली,प्रणवसिरोही। इनदिनोंजबदेशकेतमामइलाकोंमेंबेरहमगर्मीअपनाकहरबरपारहीहैतोहिमालयकेनामकाउल्लेखहीमनमेंएकप्रकारकीशीतलताकासंचारकरदेताहै।वास्तवमेंहिमगिरिहिमालयकानयनाभिरामनैसर्गिकसौंदर्यएवंप्राणवर्द्धकजलवायुकाजादूहीकुछऐसाहैकिउसकाअनुभवकरनेवालासदैवपर्वतराजकेप्रेमपाशमेंफंसकररहजाताहै।अजयसोडानीभीइसमोहपाशसेअछूतेनरहे।तंत्रिकाविज्ञानकेइनप्रोफेसरसाहबपरहिमालयनेऐसातंत्र-मंत्रकियाकिवह'दर्रादर्राहिमालय'और'दरकतेहिमालयपरदर-ब-दर'केबादवहनगपतिपरअपनीतीसरीकिताब'सार्थवाहहिमालय'लेकरहाजिरहैं।

पुस्तककेनामसेयहअनुमानलगानामुश्किलनहींहैकियहभीएकयात्रा-आख्यानहीहै।लेखकनेहिमालयमेंअपनीघुमक्कड़ीकाबढिय़ावृत्तांतसुनायाहै।वह26अप्रैल,2012कोइंदौरसेनिकलकरतीसरेदिनजोशीमठमेंलंगरडालतेहैंऔरयहांसेआरंभहुआउनकासफरतमामदिलचस्पपड़ावोंसेगुजरतेहुएमियालीदर्रेऔरवासुकीतालतकचलताहै।इसयात्रामेंवहहिमालयकेभूगोलकेसाथ-साथउसकेइतिहास,परंपरा,साहित्य,लोक-संस्कृतिसेसाक्षात्कारकरातेचलतेहैं।शब्दोंकेइससफरमेंरोमांचभीअपनीपूरीपकड़बनाएरखताहै।बकौललेखकहिमालयकासम्मोहनकुछऐसाहैकियहपहलीनिगाहमेंहीव्यक्तिकेरक्तमेंघुलनेलगताहैऔरव्यक्तिप्रकृतिकीइसअनुपमदेनकोअपनेव्यक्तित्वकाहिस्सामाननेलगताहै।लेखकहिमालयकीविराटताकेआलोकमेंहमारेअस्तित्वकीगौणताकाएकअनूठासमीकरणबनातेहैं।

विषयवस्तुपुस्तककासशक्तपक्षहै,किंतुकतिपयस्थानोंपरप्रस्तुतिएवंभाषा-शैलीकुछअवरोध-साउत्पन्नकरतीहैं।बिल्कुलवैसेही,जैसेकिसीसुरम्यपहाड़ीसेगुजरतेहुएसामनेसेअचानककोईतीखामोड़आजाए।पहलीपंक्तिपढ़करहीलगताहैकियहउर्दूकीकिताबहै,जिसमें'जाजम'जैसातुर्कीभाषाकाशब्दइस्तेमालकियागयाहै।कईउम्दातस्वीरेंभीदीगईहैं,लेकिनश्वेत-श्यामप्रकृतिमेंवेअपेक्षितप्रभावनहींछोड़पातीं।बेहतरहोताकिपुस्तकमेंएकस्थानपरउन्हेंरंगीनस्वरूपमेंसंकलितकियाजाता।

पुस्तक:सार्थवाहहिमालय

लेखक:अजयसोडानी

प्रकाशक:राजकमलपेपरबैक्स