हरिद्वार,संतकीकलमसे:अखिलभारतीयअखाड़ापरिषदकेअध्यक्षऔरप्रयागराजबाघंबरीगद्दीकेपरमाध्यक्षश्रीमहंतनरेंद्रगिरिकाकहनाहैकिकुंभमानवीयनहीं,ईश्वरीयआयोजनहै।इसकानिर्धारणदैवीयशक्तियांविशेषनक्षत्र,योगऔरज्योतिषगणनाकेआधारपरकरतीहैं।धरतीऔरस्वर्गकोमिलाकर12वर्षमें12कुंभआयोजितहोतेहैं।इनमेंचारधरतीपरहोतेहैं,जबकिआठदेवलोकमें।
देवलोककेकुंभकीप्राप्तिदेवगणहीकरसकतेहैं,मनुष्योंकीवहांपहुंचनहींहै।इसव्यवस्थाकानिर्धारणसमुद्रमंथनऔरउससेनिकलेअमृतकीप्राप्तिकोदेव-दानवोंकेबीचबारहदिनोंतकचलेनिरंतरयुद्धकेबादउत्पन्नस्थिति-परिस्थितिसेहुआथा।देवताओंकेबारहदिनमनुष्योंकेबारहवर्षकेबराबरहोतेहैं।इसलिएकुंभभीबारहहोतेहैं।पौराणिकविश्वासऔरज्योतिषीगणनाकेलिहाजसेहरिद्वारकुंभकाअसाधारणमहत्वबृहस्पतिकेकुंभऔरसूर्यकेमेषराशिमेंप्रवेशकेकारणहै।ग्रहोंकीयहअसाधारणस्थितिऔरदैवीयसंयोगगंगाकेकिनारेस्थितहरिद्वारमेंपतितपावनीगंगाकेजलकोइसकदरऔषधिकृतकरदेताहैकिवहकुंभपर्वकेविशेषदिनोंमेंअमृतमयहोजाताहै।यहसंयोगइसदौरानगंगामेंस्नानकरनेवालीकरोड़ोंजीवात्माओंकाउद्धारकरधरतीपरसनातनधर्मकीस्थापनाऔररक्षाकरताहै।
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कुंभहिंदुओंकीआस्थाकामहत्वपूर्णपर्वहै,जिसमेंकरोड़ोंश्रद्धालुप्रयागराज,हरिद्वार,उज्जैनऔरनासिकमेंपवित्रस्नानकरस्वयंकोउपकृतकरतेहैंऔरईश्वरीयसंरक्षणकोप्राप्तकरतेहैं।हरिद्वारमेंगंगाघाटपरकुंभस्नानकरनेसेआत्माकोउच्चलोकोंकीप्राप्तिसहजतासेहोजातीहै।कुंभधर्मकीपराकाष्ठावआस्थाकेउच्चतमशिखरकोपरिलक्षितकरताहै।
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