सिवान।प्रखंडकेउजांयस्थितगौरीशंकरउच्चविद्यालयसहइंटरकालेजगुरुकुलकीपरंपरागतएवंगौरवशालीइतिहासकेचलतेआजभीभवनोंकीजर्जरहालतकेबावजूदकरीबचारकिलोमीटरकीपरिधिकेबच्चोंएवंअभिभावकोंकेलिएपहलीपसंदहै।विद्यालयमेंएकहॉलएवंआठकमरेहैं,लेकिनसभीकमरोंकीस्थितिदयनीयहै।इसविद्यालयसेकईबच्चेशिक्षाग्रहणकरऊंचेपदोंपरआसीनहैं,लेकिनइसविद्यालयकीदशायथावतहै।जर्जरहालतमेंभीपठन-पाठनएवंअनुशासनहोनेकेकारणयहविद्यालयबच्चोंकोआकर्षितकरताहै।
यहांबच्चियोंकेलिएछात्रावासभीबनायागयाहै,जोकोविडएवंजलजमावकीसमस्याकेचलतेबंदहोगयाहै।इसीविद्यालयकीदूसरीतरफकेंद्रीयविद्यालयमहाराजगंजचलताहै।यहांभूमिकीकमीनहींहै।इसीपरिसरमेंबालक-बालिकाकेलिएपालिटेक्निककालेजबनरहाहै।इसविद्यालयमेंएकसहायकशिक्षकनथुनीपांडेयनेबच्चोंकोगुरुएवंशिष्यकेप्रतिकर्तव्यबोधकरातेथे।उन्हींद्वाराबनाएगएनियमोंपरचलकरआजभीबच्चोंमेंकूट-कूटकरसंस्कारभराहुआहै।यहांबच्चोंकोपरीक्षामेंकदाचारनहींकरने,ड्रेसकोडलागूकरना,बच्चोंकीएकजुटताकोबनाएरखनेकेलिएनीबवालेपेनसेलिखनेकीपरंपरालाईगई।इसविद्यालयसेपढ़करबच्चेबडे़-बडे़पदकीशोभाबढ़ारहेहैं।इसमेंसच्चिदानंदसिंहमोतिहारीमेंरजिस्ट्रारपदपरहैं।वहींइसविद्यालयकेछात्र,राधाशरणसिंहचिकित्सक,करिश्माकुमारीबीपीएससीपासकरराजस्वअधिकारी,कालिकाशरणसिंहचिकित्सकसहितकईलोगयहांपढ़करअधिकारीबनक्षेत्रकीशोभाबढ़ारहेहैं।
बेंचकाहैअभाव:
इसविद्यालयकेदोकमरेमेंकार्यालयचलताहैऔरआठकमरेमेंपढ़ाईहोतीहै।विद्यालयमेंबेंचकीकमीकेकारणबच्चोंकोठूंस-ठूंसकरबेंचपरबैठायाजाताहैयाविद्यालयपरिसरमेंखुलेआसमानकेनीचेपाठन-पाठनकाकार्यकरनापड़ताहै।इसकारणबच्चोंकोपढ़नेमेंपरेशानीहोतीहै।सबसेज्यादापरेशानीपरीक्षाकेसमयहोतीहै।परीक्षादोपालियोंमेंलीजातीहै।खेलसामग्रीकाअभाव:
विद्यालयमेंखेलसामग्रीकाअभावहै।खेलकेसभीसाधनयहांउपलब्धनहींहोनेकेकारणबच्चोंकोपरेशानीहोतीहै।वहींखेलमैदानहै,लेकिनमैदानकीसफाईनहींहोनेसेयहांगंदगीफैलीरहतीहै।
विद्यालयमें600सेअधिकहैंबच्चे:
इसविद्यालयमेंफिलहालकक्षानौएवं10में600सेअधिकबच्चेनामांकितहैतथाइंटरमें400बच्चेहैं।इसमेंशिक्षकोंकीसंख्या14है।यहविद्यालय2019मेंइंटरकालेजमेंअपग्रेडहुआतथा2020सेइंटरकीपढ़ाईचालूहै।पुस्तकालयवप्रयोगशालाकीसुविधा:
विद्यालयमेंस्थितपुस्तकालयमें1058पुस्तकेंहैं।कोर्सकीपुस्तकेंकोलेकरबच्चेइसकाभरपूरलाभउठारहेहैं।इसमेंअधिकांशकोर्सकीपुस्तकेंबच्चेघरलेजाकरपढ़ाईकरतेहैं।जबकिकहानियोंकीपुस्तकेंअलमारीकीशोभाबढ़ारहीहैं।पुस्तकेंरहनेसेबच्चोंकोकाफीराहतमिलगईहैं।वहींविद्यालयमेंप्रयोगशालाकेसभीउपकरणउपलब्धहैं।कहतेहैंप्रधानाध्यापक:
इसविद्यालयकीस्थापना1962मेंग्रामीणोंकेसहयोगसेहुई।1980मेंइसेस्वीकृतिप्रदानकीगई।जर्जरभवनकेचलतेबच्चोंकोपरेशानीहोतीहैं।भवनोंकीहालतठीकनहींहै।इसकेलिएविभागकोसूचनादीगईहै।यहांशिक्षकएवंबच्चेकाफीसहयोगीहैं।
कालिकाराव,प्रधानाध्यापक।