जागरणसंवाददाता,फरीदकोट
आचार्यप्रवरदिव्यानन्दसूरीश्वरजीमहाराज(निरालेबाबा)केसानिध्यमेंस्थानीयनिरालाभवनमेंचलरहेसमन्वयचातुर्मास2017केअंतर्गतश्रीनिरालेबाबानेअपनेप्रवचनमेंकहाआजकलहमसबलोगसुनते
है,पढ़तेहैंपूर्वतथापश्चिमकीसंस्कृति,पूर्वकेलोगपश्चिमकेलोग,पूरब-पश्चिमशिक्षा।अबहमजानेकीदोनोंकीसंस्कृतिकाउद्भवऔरशुभारंभएकहीस्थानसेहोताहै।परंतुलक्ष्यअलगअलगहोतेहैं।अबजरापूर्वकीसंस्कृतिऔरउसकीशिक्षादेखेतोउसकीवर्णमालामेंबच्चोंकोजोशिक्षादीजातीहै-असेअनारएकफलहैऔरवर्णमालाकाअंतहोताहैज्ञसेज्ञानी।असेभोजनलेकरज्ञसेज्ञानीयानिविद्वानहोने
कीकामनाकरतेहैं।हमाराभावभीयहीहोताहै।परमात्मासेकहतेहैकि
''धियोनेप्रचोदयात्''यानिविवेकपूर्णबुद्धि,ज्ञानवानबननेकीकामनाकरतेहै।अबपश्चिमकीसंस्कृतिकीओरदेखें।एफॉरएप्पलयहभीखाद्यपदार्थहैऔरअंतहोताहैजेडसेजेबराएकपशुहैयानियहसंस्कृतिपशुताकीओरलेजातीहैऔरअभीअभीआवाजआईजेडफॉरजीरोयहभीठीकहै।यानि
पूर्वऔरपश्चिमकीसंस्कृतिकाउद्गमएकहीहैलेकिनलक्ष्यअलग-अलगहै।
उन्होंनेकहाकिपूर्वकीसभ्यतामेंगुरु-शिष्यकाबड़ामहत्वहै।शिष्य
कीबातचलतीहैतोमहर्षिदयानंदसरस्वतीकानामबरबसयादआताहै।गुरुकीकितनीताड़नासहनीपड़ीदयानंदजीकोपरंतुउन्होंनेनमनसेबुरासोचाऔरनहीअविश्वासपैदाकिया।गुरुरविदासजीनेकहाकिगुरुक्याहै।गुरुएककारीगरहै,शिल्पीहै।जैसेएकखदानसेनिकलेपत्थरकोअपनीपरिकल्पनाकेअनुसारछेणीहथौड़ेसेचोटमारकरएकसाकारप्रतिमाबनादेताहै,औरदुनियाउसेपूजतीहै।वैसेहीयोग्यगुरुपत्थररूपीशिष्यकोतराशताहै।
एकविचारआयाकिलोगकारीगरकोक्योंनहींपूजतेहैंकारणहैकिकारीगरनेप्रतिमाबनानेकासौदाकिया,पैसालियाहै।इसलिएकारीगरकीपूजानहींहोतीहैं।जबकिसच्चागुरुअपनेवात्सल्यप्रेमशिष्यकोदेताहैऔरइतनादेताहैकिगुरुशिष्यसमहोजातेहैं।तभीगुरुऔरशिष्यकोदूनियापूजतीहैं।
परंतुआजकलअच्छागुरुऔरअच्छाशिष्यकहामिलताहै।बहुतमुश्किलहै।अकबरबीरबलकाप्रसंगसुनातेहुएआचार्यप्रवरनेकहाअकबरनेसभासदोंसेपूछाकिदीपककातथालौकाएकहीरंगहोताहै,समानहोताहैपरंतुधुंआकालाक्योंदेताहैं।तबबीरबलनेकहामहाराजदीपकअंधेरेमेंप्रकाशकेलिएजलायाजाताहैऔरलौअंधकारकोखातीहैतबउसकाधुंआकालाहोताहै।भावार्थयहहैकिगुरुशिष्यकोसंसारमेंछाएअंधेरेरूपीअज्ञानको
मिटानेकेलिएतथासंसारकोप्रकाशवानकरनेकीशिक्षादेताहैऔरहमआजअपनेअंदरकेअंधेरेको,अज्ञानताकोहटानेकेलिएसच्चेनिष्ठावानसंपूर्णगुरुकेमाध्यमसेहीनिकालसकतेहैं।
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