वाराणसी[सौरभचंद्रपांडेय]। शिवकाअतिप्रियमाहसावनरविवारसेआरंभहोरहाहै।इसविशेषमाहमेंअन्यदेवताशयनकरतेहैं,तोशिवजाग्रतरहतेहैं।इसकारणइसमाहकोशिवकीउपासनाकेलिएविशेषमानागयाहै।शिवकोप्रसन्नकरनेकेलिएलोगव्रतरखकररुद्राभिषेक,जलाभिषेकऔरमहाभिषेककरतेहैं।इसबारसावनमेंसौभाग्ययोगकादुर्लभसंयोगबनरहाहै।
काशीविद्वतपरिषदकेमहामंत्रीप्रो.रामनारायणद्विवेदीकेअनुसारइसयोगमेंव्रतऔरअनुष्ठानकरनेवालोंकोदेवाधिदेवशिवसौभाग्यकेआशीषसेअभिसिंचितकरेंगे।यम-नियमसेशिवकीउपासनाकरनेपरसाधकोंको12ज्योतिॄलगोंकेदर्शनकेसमानफलप्राप्तहोताहै।मान्यताहैकिअविवाहितकन्याएंमनवांछितवरकीप्राप्तिकेलिएसावनमेंशिवकीउपासनाकरतीहैं।वहीं,पुरुषदैहिक,दैविकऔरभौतिकसुखोंकीप्राप्तिकेलिएशिवकेध्यानमेंलीनरहतेहैं।
हरसोमवारबनरहाहैयोगोंकाविशेषसंयोग:पहलासोमवार,26जुलाई:पहलेसोमवारकोधनिष्ठानक्षत्र,सौभाग्ययोगलगेगा।धनिष्ठानक्षत्रकेस्वामीवसुहैं।यहनक्षत्ररोजगारऔरव्यापारकेलिएबेहदशुभहै।सौभाग्ययोगभाग्यकोबढ़ानेवाला,यशतथाकीॢतप्रदयोगहै।इसयोगमेंप्रारंभकिएगएकार्यसरलतासेसफलहोतेहैं।इसयोगमेंजन्मलेनेवालाजातकसौभाग्यशालीहोताहै।धनिष्ठाएवंसौभाग्ययोगमेंशिवकीपूजासेधनऔरसौभाग्यमेंवृद्धिहोतीहै।
दूसरासोमवार,दोअगस्त:इसदिनसर्वार्थसिद्धियोगऔरकृतिकानक्षत्रलगेगा।कृतिकाकेस्वामीअग्निदेवहैं।इसेसूर्यकानक्षत्रभीकहाजाताहै।सर्वार्थसिद्धियोगमेंकिएगएकार्यउत्तमफलदायकहोतेहैं।इसयोगऔरनक्षत्रकेसंयोगमेंमहादेवकाअभिषेककरनेसेव्यवसायऔरनौकरीमेंतरक्कीकामार्गप्रशस्तहोताहै।
तीसरासोमवार,नौअगस्त:तीसरेसोमवारकोश्लेषानक्षत्रऔरवरीयानयोगकासंयोगबनरहाहै।श्लेषाको'आश्लेषा'भीकहतेहैं।इसकेस्वामीसर्पहोतेहैं।इसनक्षत्रकीसमाप्तिसेतीनघटी(एकघंटा12मिनट)पूर्वकासमयविशेषदोषपूर्णरहताहै।वरीयानकाअर्थहैअपेक्षाकृतश्रेष्ठ।इसयोगमेंकियागयाकार्यनिर्विघ्नसफलहोताहै।शिवकीस्तुतिकरनेसेस्वास्थ्यलाभएवंमनोरथपूर्णहोताहै।
चौथासोमवार,16अगस्त:चौथेसोमवारकोअनुराधानक्षत्रऔरब्रह्मायोगकाविशेषसंयोगबनरहाहै।अनुराधानक्षत्रमेंचारयाछहतारेरथकेआकारकेहोतेहैं।ब्रह्मयोगब्राह्मणोंद्वाराकिएजानेवालेकार्यों(जिन्हेंंब्राह्मकर्मकहाजाताहै)केलिएविशेषमानागयाहै।संन्यास,निर्वाणऔरमोक्षदीक्षाकेलिएयहयोगउपर्युक्तमानागयाहै।इसनक्षत्रऔरयोगमेंशिवकापूजनकरनेसेकचहरीमेंचलरहेमुकदमेसेमुक्तिमिलतीहै।