राजस्थान की दो महिला IAS अधिकारियों के जज्बे की कहानी, 'अफसर जीजी' के रूप में बनी पहचान

उदयपुर,नरेन्द्रशर्मा। राजस्थानकेउदयपुरसंभागमेंपदस्थ दोमहिलाआइएएसअधिकारीजिनकी शैक्षिकयोग्यतास्त्रीरोगविशेषज्ञकीभी है-डॉ.मंजूजाखड़औरडॉ.शुभमंगला, किसतरहपिछड़ेआदिवासीइलाकेमें प्रशासनिकदायित्वोंकेसाथहीआदिवासी महिलाओंकेकल्याणकेलिएव्यक्तिगत प्रयासकररहीहैं,प्रेरकहै।उदयपुरके पिछड़ेआदिवासी इलाकोंमेंयह दोनोंमहिला आइएएसअब 'अफसरजीजी' केरूपमेंपहचानबनाचुकीहैं।

दोनोंहीअफसरजीजीआदिवासी महिलाओंकोस्वास्थ्यसेलेकरशिक्षा औररोजगारतककेअवसरमुहैयाकराने मेंजुटीहैं।जिसआदिवासीइलाकेमें चिकित्सकऔरशिक्षकड्यूटीकरनेसे कतरातेहैं,दोनोंवहांप्रशासनिककामकाज केसाथहीमहिलाओंऔरबच्चोंके स्वास्थ्यकीदेखभालभीकरतीहैंऔर उन्हेंपढ़ातीभीहैं।

आजादीके72सालबादभीउदयपुर संभागकेजिसआदिवासीइलाकेमेंशाम छहबजेबादलोगोंकाआवागमनबंद होजाताहै,वहांयहमहिलाअधिकारी दिन-रातरहकरप्रशासनिककामकाज केसाथ-साथसामाजिकसरोकारनिभाने मेंजुटीहैं।अपनेकामकाजकेकारणये दोनोंइतनीलोकप्रियहोगईकिआदिवासी महिलाएंइन्हेंअपनेपरिवारकासदस्य मानतीहैं।

2016बैचकीआइएएसअधिकारीडॉ. मंजूजाखड़राजस्थानकेहीझुंझुनूजिले कीनिवासीहैं।लेकिनउन्होंनेपढ़ाईके दौरानहीआदिवासियोंकेबीचकामकरने कासपनादेखाथा।मेडिकलकीशिक्षा ग्रहणकरनेकेबादपहलेतोदिल्लीकेतेग बहादुरअस्पतालमेंचिकित्सककीनौकरी कीऔरफिरसंघलोकसेवाआयोगकी प्रतियोगीपरीक्षामेंकिस्मतआजमाई। आइएएसमेंचयनहोतेहीडॉ.मंजूजाखड़ नेआदिवासीमहिलाओंकेबीचकाम करनेकासंकल्पलिया।

सरकारनेभीउनकीपहलीपोस्टिंग उदयपुरजिलेकेआदिवासीइलाके लसाड़ियामेंकी।यहांबतौरखंड अधिकारीपदस्थमंजूबतातीहैंकिजब वहपहलीबारलसाड़ियागईंतोयह देखकरदंगरहगईंकिआदिवासियोंके अंगूठेलगवाकरराशनडीलरउन्हेंआधी राशनसामग्रीहीउपलब्धकरारहेहैं।चल

बैंककेकर्मचारीआदिवासियोंकेहिस्से कापैसाखुदहजमकररहेहैं,चिकित्सक कई-कईदिनतकअस्पतालमेंजातेही नहींहैं।उन्होंनेएक-एककरसमस्याओं कासमाधानशुरूकिया।

जहांजरूरतपड़ी चिकित्सककीभूमिकाभीखुदनिभाई औरस्वास्थ्यकर्मीकीभी।महिलाओं औरबच्चोंकेस्वास्थ्यकीजांच,निगरानी औरदेखभालकाकैलेंडरतैयारकिया। आदिवासियोंमेंशराबकीलतछुड़ानेके लिएजागरूकताअभियानचलाया।

2018बैचकीअफसरटी.शुभमंगला कर्नाटककीरहनेवालीहैं।उदयपुरजिले केकोटड़ामेंउपजिलाधिकारीकेपदपर कार्यरतहैं।कोटड़ाकोप्रदेशकाऐसा आदिवासीइलाकामानाजाताहैजहां पोस्टिंगहोनेकेबादभीसरकारीअधिकारी औरकर्मचारीजातेहीनहींहैं।यदिउन परदबावबनायाजाताहैतोवेनौकरी छोड़देतेहैं।कोटड़ाकेआदिवासियोंकी आर्थिकऔरसामाजिकस्थितिकाफी खराबहै।महिलाएंऔरबच्चेकुपोषणका शिकारहैं।

कोटड़ामेंकामकरनेकाअवसरमिला तोशुभमंगलानेसबसेपहलेतोकुपोषित महिलाओंऔरबच्चोंकेस्वास्थ्यको बेहतरबनानेकाकामशुरूकिया।कोटड़ा कीनब्बेफीसदीआबादीगरीबीरेखाके नीचेजीवनबितारहीहै,ऐसेइलाकेमें दोकमरेकेक्वार्टरमेंरहकरशुभमंगला आदिवासियोंविशेषकरमहिलाओंको सशक्तबनानेमेंजुटीहैं।