संवादसूत्र,करजाईनबाजार(सुपौल):सर्वजगतनियंतापूर्णपरमतत्वहीगणपतितत्वहै।''''गणानांपति:गणपति:''''।''''गण''''शब्दसमूहवाचकहोताहै।समूहोंकापालनकरनेवालेपरमात्माकोहीगणपतिकहतेहैं।अथवासर्वविधगणोंकोस्फूर्तिवशक्तिदेनेवालाजोपरमात्माहै,वहीगणपतिहै।गणपतिशब्दसेहीब्रह्मनिर्दिष्टहोताहै।एकहीपरमतत्वभिन्न-भिन्नउपासकोंकीअलग-अलगअभिलाषितफलोंकीप्राप्तिहेतुअपनीअचिन्त्यलीलाशक्तिसेभिन्न-भिन्नगुणसंपन्नहोकरनाम-रूपवानहोकरअभिव्यक्तहोताहै।प्रधानस्वरूपमेंविघ्नविनाशकआदिगुणविशिष्टपरमतत्वगणपतिरूपमेंआविर्भूतहोताहै।इसपरमतत्वकोशास्त्रोंसेहीजानाजासकताहै।अर्थातशास्त्रहीजिन-जिननामरूप,गुणयुक्ततत्वोंकोब्रह्मबतलातेहैंवेहीब्रह्महोसकतेहैं।शास्त्रोंमेंगणपतिकोपूर्णब्रह्मबतलायागयाहै।गणपतिउत्सवकामहत्ववगणेशतत्वकासारसमझातेहुएआचार्यपंडितधर्मेंद्रनाथमिश्रनेबतायाकिगणेशपूजनएवंस्तवनकिएबिनाकिसीप्रकारकेयज्ञआदिअनुष्ठानमेंनिर्विघ्नसफलतानहींमिलसकताहै।चाहेआपकाइष्टदेवभगवानविष्णु,शंकरयापराम्बाश्रीदुर्गाहीक्योंनहो।इनसभीदेवी-देवताओंकीउपासनाकीनिर्विघ्नसम्पन्नताकेलिएविघ्नविनाशकश्रीगणेशकापूजनवस्तवनअतिआवश्यकहै।आचार्यनेकहाकिगणेशएकदंतहैं।एकशब्दमायाकाबोधकहैऔरदंतशब्दमायिककाबोधकहै।गणेशजीमेंमायाऔरमायिककायोगहोनेकेकारणहीवोएकदंतकहलातेहैं।गणेशजीवक्रतुंडभीहैं।वक्रटेढ़ेकोकहतेहैं।आत्मस्वरूपटेढ़ाहै,क्योंकियहसंपूर्णजगततोमनोवचनोंकागोचरहै।इतनाहीनहींगणपतिकोलंबोदरभीकहाजाताहै।क्योंकिइनकेउदरमेंहीसमस्तप्रतिष्ठितहैंऔरयेस्वयंकिसीकेउदरमेंनहींहैं।इसलिएसमस्तमानवोंकोमनोवांछितफलोंकीप्राप्तिकेलिएगणेशजीकीउपासनावआराधनाभक्तिवनिष्ठापूर्वककरनीचाहिए।
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आचार्यनेबतायाकिश्रीगणेशकोजोदुर्वाचढ़ाईजातीहैवहजड़रहित12अंगुलीलंबीऔर3गांठोंवालीहोनीचाहिए।101या121दुर्वासेश्रीगणेशकीविशेषपूजनकरनाचाहिए।