सीतापुर:नगरकेप्राचीनगौरीदेवीमंदिरमेंचलरहीभागवतकथासुनातेहुएमथुरावृंदावनकीकथाव्यासप्रेक्षापांडेयनेकहाप्रेमसभीतत्वोंकामूलहै।प्रभुप्रेमकेहीअधीनहै।प्रेमहीप्रभुकादूसरानामहै।उन्होंनेकहासभीप्राणियोंमेंपरमात्माकामूलआत्माकेरूपमेंसमायाहै।हमसभीप्राणियोंमेंपरमात्माकेउसमूलरूपकोदेखें,सभीसेप्रेमकरनासीखें,तभीहमईश्वरकीभक्तिकरसकतेहैं।प्रेममेंहीदुनियाकोझुकानेकीताकतहै।उसीकेवशीभूतहोकरप्रभुश्रीरामप्रेमकेकारणशबरीकेजूठेबेरखानेउनकेआश्रमआएथे।अत:हमसभीकोराग,द्वेषकात्यागकरप्रेमकरनाचाहिए।इसीसेसंसारकीहरसमस्याकासमाधानसंभवहै।वृंदावनकेकलाकारोंनेझाकियांदिखाकरश्रद्धालुओंकोमंत्रमुग्धकरदिया।
कृष्णजन्मनेकियाभावविभोर
अटरिया:बखतखेरामेंचलरहीभागवतकथामेंप्रवचनकरतेहुएव्यासमनीषपांडेयनेकृष्णजन्मकामनमोहकप्रसंगसुनाया।उन्होंनेकहाकिकृष्णजन्मकेसमयकारागारकेसभीपहरेदारसोगए।घनघोरबारिशवबिजलीचमकनेलगी।मातादेवकीभगवानकृष्णकोजन्मदेतीहैं।कारागारकेदरवाजेअपनेआपखुलजातेहैं।वसुदेवकृष्णकोलेकरचलदेतेहैं।जमुनानदीपूरीउफानपरहै।ऊपरतकउठतीलहरेंडरारहीहैं।भगवानकृष्णसमझजातेहैं,वहपैरनीचेलटकादेतेहैं।उनकेपैरोंकोस्पर्शकरजमुनाजीशांतहोजातीहैं।इसतरहवहसुरक्षितनंदबाबाकेघरपहुंचजातेहैं।मनोजत्रिवेदी,सुशील,सुधीरमिश्रामौजूदरहे।