ना अपना चूड़ा ना दही बाजार जो कहे वही सही

-मकरसंक्रांतिमेंचूड़ा,दही,तिलकीबनीलाईआदिकीरहतीहैविशेषता

-घरोंमेंइसेतैयारकरनेकीबंदहुईपरंपरा,बाजारपरबढ़ीलोगोंकीनिर्भरता

जागरणसंवाददाता,सुपौल:मकरसंक्रांतिकापर्वशुक्रवारकोमनायाजाएगा।इसपर्वमेंचूड़ा,दही,तिलकीबनीलाईआदिकीविशेषतारहतीहै।इसेघरोंमेंतैयारकरनेकीपरंपराबंदसीहोगईहै।बाजारपरलोगोंकीनिर्भरताबढ़गईहैजबकिपूर्वमेंलोगअपनेघरोंमेंइसेतैयारकरतेथेअबतोनाअपनाचूड़ानादहीबाजारजोकहेवहीसहीकेबूतेपर्वमनायाजाताहै।बाजारमेंविभिन्नब्रांडकीपैकेटबंदमूढ़ीऔरतरह-तरहकेचूड़ासहिततिलकुटऔरलाईबिकरहेहैं।

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तकनीकआधारितखेतीनेघटायापशुपालनकादायरा

जबलोगहल-बैलसेखेतीकरतेथेतोपशुपालनकाबड़ामहत्वथा।बैलसेखेतोंकीजोताईहोतीथीऔरइसकेगोबरसेखादतैयारहोतेथे।इसकेलिएलोगगायपालतेथेजिससेबैलखरीदनानहींपड़ताथाऔरदूधभीउपलब्धहोजाताथा।तकनीकआधारितखेतीनेपशुपालनकादायराघटादियाहैजिससेदूधकाउत्पादनघटाहै।अबलोगबाजारकेदहीसेहीयहपर्वमनातेहैं।

व्यवसायिकतौरपरहोरहापशुपालन

पशुपालनकास्वरूपअबव्यवसायिकहोगयाहैइससेदेसीपशुओंकापालनकमहोनेलगाहै।पशुपालकदूधकीचाहतमेंजर्सीवफ्रीजियनगायपालनाहीअधिकपसंदकरतेहैं।पशुपालकोंकेअनुसारइनमेंबांझपनकीसमस्याआरहीहै।इससेभीदूधउत्पादनपरअसरपड़ाहै।पशुचिकित्सककेअनुसारसंकरनस्लकेपशुओंमेंबांझपनकीशिकायतअधिकमिलरहीहैजिनकाप्रमुखकारणकोसीकेइलाकेकातापमानअधिकरहनाहै।आमतौरपरसंकरनस्लकीगाय20से25डिग्रीसेल्सियसपरहीसामान्यमहसूसकरतीहैऔरइसतापमानपरजननतंत्रकाभीसमुचितविकासहोताहै।इसकेअलावासमय-समयपरकीटनाशककाप्रयोगनकरना,मिनरलमिक्चरपाउडरकाप्रयोगनकरना,कृत्रिमगर्भाधाननहींकरवाना,हारमोंसकाबाधितहोनातथासंक्रामकरोगबांझपनकेप्रमुखकारणहैं।दूसराकिठंडकेमहीनेमेंमवेशीपानीकमपीतेहैंइससेदुग्धउत्पादनपरअसरपड़ताहै।

घरोंमेंतैयारनहींहोताचूड़ा-मूढ़ी

अगहनमहीनेमेंधानकीकटनीहोतीथीऔरपूसमेंमकरसंक्रांति।इसकेलिएलोगघरोंमेंचूड़ा-मूढ़ीतैयारकरतेथे।कुछलोगइसधंधेसेभीजुड़ेथेजोधानकेबदलेचूड़ाऔरमूढ़ीउपलब्धकरातेथे।अबयेदोनोंबंदहैं।ग्रामीणक्षेत्रोंमेंभीलोगबाजारसेहीचूड़ा-मूढ़ीखरीदतेहैं।तिलकीखेतीभीलगभगबंदहीहोचुकीहै।फिलहालपर्वकोलेकरबाजारमेंतरह-तरहकेचूड़ा,विभिन्नब्रांडकीमूढ़ी,तिलकुट,लाईआदिउपलब्धहै।लोगपर्वकेलिएइसकीखरीदारीभीकररहेहैं।

बाजारभावप्रतिकिलोमें

तिलकाला-120रुपये

तिलसफेद-180रुपये

चूड़ाकतरनी-60रुपये

चूड़ासाधारण-32रुपये

तिलकुट-250-700रुपये