मन मारें नहीं, बल्कि मन जीतें-कंवर हुजूर

जागरणसंवाददाता,भिवानी:मनकोजीतनेकेलिएबुद्धिऔरचतुराईकामनहींआएगी।नहीथोथाज्ञानकामआएगा।मनकोजीतनेकेलिएतोशब्दकाभेदीसतगुरुहीकामआएगा।मनकोमारनानहींहै,बल्किमनकोजीतनाहैक्योंकिमनकभीमरतानहींहैमरतातोशरीरहै।यहऑनलाइनसत्संगपरमसंतकंवरसाहेबनेशनिवारकोदिनोदगांवमेंस्थितराधास्वामीआश्रममेंसुनाया।

गुरुमहाराजलगातारसातवेंदिनराधास्वामीमतकेप्रवर्तकस्वामीमहाराजकेसारवचनकापाठऔरउसमेंवर्णितमर्मकीसंगतकेसामनेसरलशब्दोंमेंव्याख्याकररहेथे।हुजूरकंवरसाहेबनेकहाकिमनकेमरनेकेबादतोकुछरहताहीनहींहैनाहीमनमरताहै।मायाऔरमनकोतोकाबूमेंकियाजासकताहैऔरजोइसकोकाबूमेंकरलेताहै,वोशाहोंकाशाहहै।

उन्होंनेकहाकियहभीसत्यहैकिजबकेदिलमेंविरहऔरबैरागउत्पन्ननहींहोगा,तबतकमननहींठहरेगा।बैरागसूरतशब्दकीकमाईसेउत्पन्नहोगा।राधास्वामीधामतकपहुंचनेकेलिएसुन्नसमाधिलगानीहोगीऔरसुन्नसमाधिकीअवस्थातभीआपातीहै,जबकोईइससंसारमेंमुर्देकीतरहरहनासिखलेताहै।इसीकोजीवितमरनाभीकहतेहैं।

उन्होंनेकहाकिनामदोप्रकारकेहैं।एकवर्णात्मकऔरदूसराधुनात्मक।उन्होंनेकहाकिवर्णात्मकशब्दअक्षरमेंआनेवालाहै।शब्दहैजिसकावर्णनकियाजासकताहै।येलिखनेपढ़नेमेंभीआताहै।चूंकिवर्णात्मकनामहीधुनात्मकनामकोदिखानेवसमझानेवालाहैइसलियेवर्णात्मकनामसूरतकोपाकपवित्रकरनेवालाहै।जबसूरतशब्दकीपरखपूर्णकरलेतीहै,तबवर्णात्मकहीधुनकास्थानलेलेताहै।यहतब्दीलीगुरुकीमौजसेहीसम्भवहै।यहमौजप्राप्तकरनेकेलिएशिष्यकोअपनामनऔरतनगुरुकोसौंपनापड़ताहै।जबरूहशब्दकीऔरचलतीहैतबगुणात्मकजगतकेतीनोंगुणनीचेरहजातेहैं।

गुरुमहाराजनेकहाकिवर्णात्मकनाममेंहीअधिकांशजीवफंसकेरहजातेहैं।हमवर्णात्मकनाममेंतबतकफंसेरहेंगेजबतकसांसारिकबंधनऔरतिमिरनहींमिटेगा।उन्होंनेकहाकिधुनात्मकनामकीपहचानधुनकाभेदीहीजानसकताहै।कोईबिरलासंतसतगुरुहीआकरइससंसारकोचेताताहैलेकिनहममायाकेगुलामबनकरबैठेहैं।कालकीचाकरीमेंहीअपनेआपकोखुशमानबैठेहैं।

गुरुमहाराजफरमातेहैंकिआजप्रेमऔरसेवानदारदहैऔरबैरईष्र्याकाबोलबालाहै।आजकालखुलकरखेलरहाहैऔरमायाभीअपनाछलऔरबलपूरालगारहीहै।ऐसेमेंसत्संगज्ञानबुद्धिकीअधीनहोकररहगयाहै।येसबकलयुगकाप्रभावहैकिदेखनेमेंतोहमसत्संगीलगतेहैं,लेकिनमर्यादानिभानेकेनामपरहमजीरोहैं।कालऐसाभेखधरताहैकिशिष्यपरसत्संगकासाराअसरखत्मकरदेताहै।शिष्यऔरगुरुमेंहीझगड़ाहोरहाहै।ऐसेमेंहमकैसेबचें।हमबचसकतेहैंकेवलगुरुवचनकोआत्मसातकरके।