Mirza Ghalib:मुजफ्फरपुर में भी कम नहीं इनके कद्रदां, रचनाओं को सहेज बना ली लाइब्रेरी

मुजफ्फरपुर,[अजयपांडेय]।एकशख्सजबसामाजिकदायरेऔरमिथकोंकोतोड़आगेबढ़ताहैतोमिर्जागालिबबनजाताहै।एकऐसीआभारचलेताहै,जिसकीकृतिसदियोंतकरहतीहै।उनकेभावमेंजबप्रेमऔरदर्शनएकाकारहोतेहैंतोअप्रतिमपैमानाबनजाताहै।उनकीजिंदगीकीकंटीलीराहलफ्जोंसेगुलशनहोतीरही।हरलफ्जमनकोझंकृतकरतेरहे।वैसेतोउनकेकद्रदानपूरीदुनियामेंहैं,लेकिनमुजफ्फरपुरकेयुवाओंकीक्याबात?गालिबरूहमेंइसकदरउतरेकिउनकेसम्मानमेंलाइब्रेरीतैयारकरली।लोगोंकेमनसेविस्मृतहोरहींउनकीरचनाओंकोसर्वसुलभकरदिया।शहरकेकाजीमोहम्मदपुरइलाकेमें19नवंबर,2014कोफैजअहमदफैजकीपुण्यतिथिकेअवसरपरपांचयुवाओंकीटीमनेइसेमूर्तरूपदिया।ओसामाअकील,ताबिशगजाली,नुरूलकोसैन,सैयदआतिफहुसैनऔरआरिशखानकीपहलपरयहअस्तित्वमेंआया।

गालिबकीकृतिसाहित्यकीअमूल्यधरोहर

बीटेककीपढ़ाईकरदेहरादूनकीएककंपनीमेंबतौरइंजीनियरकामकरनेवालेओसामाकहतेहैंकिगालिबसाहबकीकृतिहरदिलअजीजहै।उनकीरचनाएंप्रमाणहैं।जीवनकीवेदनाएंऔरशब्दोंकेलब्बोलुआबसाहित्यजगतकीअमूल्यधरोहरहैं।उनकेशब्दोंनेसमझायाकिजीवनकेसंकीर्णरास्तेकतराकरनिकलजानेकेलिएनहींहोते।उनपरचलकरशूलकोगुलबनादेनाहीजीवनकामर्महै।गालिबकेचाहनेवालेहरदौरमेंरहे।उनकीसाहित्यिकदार्शनिकताआजभीउतनीहीमौजूंहै,जितनीउनकेदौरमेंरही।

600सेअधिकपुस्तकेंहैंयहां

पुस्तकालयमें600सेज्यादापुस्तकेंहैं।इनमेंउर्दू,हिंदीऔरअंग्रेजीसाहित्यकेअलावाएनसीईआरटीऔरपत्र-पत्रिकाएंशामिलहैं।गालिबसाहित्यसेजुड़ी50सेअधिकपुस्तकेंभीहैं।इनमेंदीवन-ए-गालिब,यादगार-ए-गालिब,खतूत-ए-गालिबआदिशामिलहैं।देशकेचुनिंदालाइब्रेरीमेंहीयेपुस्तकेंरहगईहैं।ओसामाबतातेहैंकियहलाइब्रेरीनिशुल्कहै।हां,पुस्तकजारीकरनेकेलिएकुछराशिजमाकरनीपड़तीहै।गालिबसाहबकीजयंतीपरलाइब्रेरीकेसौजन्यकईसेमिनारकराएजाचुकेहैं।इसमें2014मेंआयोजित'गालिबकौन'काफीचर्चितरहाथा।