महादेव को तिलक चढ़ाने आज जुटेंगे एक लाख से अधिक मिथिलावासी

आरसीसिन्हा,देवघर:बाबाधामसेमिथिलाकाजुड़ावअनूठाहै।मिथिलावासियोंकामाननाहैकिवेमातापार्वतीकेवंशजहैं।बाबाधामपार्वतीजीकीससुरालहै।बसंतपंचमीकोबाबाकातिलकचढ़ताहै,मिथिलावासीपूरेजोशकेसाथबाबाधाममेंजुटतेहैं।इसदौरानवोखानेपीनेकासामानलेकरहीचलतेहैं,यहांकुछनहींखाते।रविवारशामतक25हजारसेअधिकमिथिलावासीकावरलेकरपहुंचगएहैं।मंगलवारकोइनकीसंख्याएकलाखसेअधिकहोजाएगी।बसंतपंचमीकेदिनयेलोगधानकीबाली,अबीरऔरबेसनकालड्डूतिलकमेंचढ़ाएंगे।इसकेसाथहीभगवानशकरसेमातापार्वतीकेविवाहकानिमंत्रणदेंगे।

दअअसल,परंपराकेमुताबिकतिलकचढ़ाएंगेऔरएकदूसरेकोगुलाललगाकरलौटजाएंगे।लॉकडाउनकेबादयहपहलाअवसरहैजबएकलाखकांवरियादेवघरपहुंचेहैं।जिलाप्रशासननेभीड़नियंत्रणकीपूरीरणनीतिसावनकीतरहबनाईहै।क्यूसिस्टमसेपूजाअर्चनाकराईजारहीहै।मंगलवारकोहोनेवालीभीड़कोदेखतेहुएदंडाधिकारीएवंपुलिसबलकीप्रतिनियुक्तिरविवारसेहीकीगईहै।पायुक्तमंजूनाथभजंत्रीनेकहाकिकतारव्यवस्थाकापुख्ताइंतजामकियागयाहै।शीघ्रदर्शनमकेतहत250रूपयेमेंकोईभीकांवरियाशीघ्रदर्शनकरसकतेहैं।एकविशेषकाउंटरइसकेलिएबनायागयाहै।कोरोनाकालकोदेखतेहुएमंदिरमेंप्रवेशसेपहलेमास्ककोअनिवार्यकियागयाहै।

देवघरबाबामंदिरसेतीनप्राचीनमेलाकाइतिहासहै।भादोमेला,शिवरात्रिमेलाऔरबसंतपंचमीकामेला।बसंतपंचमीमेलाकीख्यातिमिथिलासेहै।इसअढ़ाईदिनकेमेलामेंकेवलमिथिलावासीहीआतेहैं।यहदरभंगासेलेकरसीतामढ़ीतककाइलाकाजुटाहै।सोमवारको24हजारसेअधिकभक्तोंनेपूजाकी।कांवरियापथपरगेरूआमेंलिपटेशिवभक्तोंकेआनेकासिलसिलाजारीहै।

आजखुशियोंकाउड़ेगागुलाल:मिथिलावासियोंकादेवघरआनेकासिलसिलाशनिवारसेहीजारीहै।अढ़ाईदिनकामेलालगताहै।तृतीयाअपराहनसेशुरूहोकरपंचमीतकचलताहै।तृतीयासेदेवघरपहुंचनाशुरूहोजाताहै।पूजाकरनेकेबादभीवहयहांरूकजातेहैं।बसंतपंचमीकेदिनतिलककीथालीसजातेहैं।मंदिरप्रांगणमेंयहदृश्यदेखनेलायकहोताहै।पहलेबाबाकोजलार्पण,उसकेबादभैरवबाबाकीपूजा।तबतिलकचढ़ानेकारस्मनिभातेहैं।अपनेकांवरमेंगंगाजलकापात्रलेकरचलतेहैं,तोउतनीहीपवित्रतासेघरसेलेकरआएधानकीबालीभीसहेजकरकांवरमेंरखकरचलतेहैं।

परंपराओंसेजुड़ाहैतिलोकत्सव:भारतीयसभ्यतावसंस्कृतिकाअटूटबंधनहैबसंतपंचमीकेअवसरपरभगवानशंकरकातिलोकत्सव।मिथिलावासीबाबाकोअपनेखेतमेंउपजेधानकीपहलीबालीऔरघरमेंतैयारघीअर्पितकरतेहैं।गुलालऔरबेसनकालड्डूचढ़ातेहैं।इसकेबादएकदूसरेकोगुलाललगाकरतिलकोत्सवकीखुशियांबांटतेहैं।यहपरंपरात्रेतायुगसेचलीआरहीहै।पहलेऋषिमुनीभीयहांआतेथे।

बाबाबैद्यनाथकेदरबारकीकथानिरालीऔरएतिहासिकहै।मिथिलावासीआजसेनहीं,सदियोंसेइसपरंपराकानिर्वहनकररहेहैं।भारतीयसभ्यताकीथाथीमें(धी)बेटीऔरसवासिन(बहन)कामायकेकेधनपरअंशहै।यहपरंपराहै।बाबाबैद्यनाथकोतिलकचढ़ानेकेपीछेभीयहीकहानीहै।तिरहूतयानीमिथिलांचल,हिमालयकीतराईमेंबसाहै।यहांकेलोगोंकामाननाहैकिहमलोगहिमराजाकेप्रजाहैंऔरपार्वतीहिमालयकीबेटीहैं।अपनेकोलड़कीपक्षकामानतेहैंऔरबसंतपंचमीकेदिनतिलकचढ़ाकरफाल्गुनकृष्णचतुर्दशीकोबारातलेकरआनेकान्यौतादेतेहैं..।यहीपरंपरापीढ़ीदरपीढ़ीचलरहीहै।पंडाधर्मरक्षिणीसभाकेपूर्वमहामंत्रीदुलर्भमिश्रकहतेहैंकिबाबाकोतिलकचढ़ानेकीपरंपरात्रेतायुगसेचलीआरहीहै।मिथिलावासीअपनेकोहिमराजाकाप्रजामानतेआएहैं।पार्वतीहिमालयकीबेटीइसलिएउसपरंपराकोआजभीनिभारहेहैंऔरबसंतपंचमीकेदिनलड़कीपक्षकीतरहअपनेसाथलाएधानकीबाली,घी,बेसनकालड्डूसेतिलककारस्मकरतेहैं।बाबाभोलेनाथ,बाबाभैरवनाथकीपूजाकरनेकेबादगुलालखेलतेहैंऔरमिथिलाकोलौटजातेहैं।सारारस्मइनकेपुरोहितकरातेहैं।