लॉकडाउन में खामोश हो गई हथकरघा की खट खट

संवादसूत्र,कमालगंज:बुनकरोंकाहबमानेजानेवालेगांवबरियानगलामेंहथकरघाकीखटपटलॉकडाउनमेंदबकररहगई।तीनमाहसेबंदपड़ींहथकरघामशीनेंधूलफांकरहीहैं।बुनकरोंकोपरिवारकीगुजर-बसरकेलिएमजदूरीकरनीपड़रहीहै।

कमालगंजब्लाककीग्रामपंचायतरजीपुरकेमजराबरियानगलामेंहथकरघाकीखटखटहीगांवकीपहचानहै।लॉकडाउनमेंहथकरघाकीआवाजगुमहोगईहै।गांवमेंकरीब20परिवारहथकरघासेचादर,अंगौछा,तौलियावदरीबनाकरपरिवारपालतेहैं।लॉकडाउनमेंतीनमाहसेहथकरघापरधागातकनहींचढ़ाहै।घरोंमेंलगेहथकरघाकोकपड़ेटांगनेकेकाममेंलायाजारहाहै।धंधाबंदहोनेसेपरिवारकीगुजर-बसरकेलिएबुनकरखेतोंमेंकामकरनेकोमजबूरहै।'मेरेपासपांचमशीनेंहैं।तौलियाचादरदरीआदिबनतेहैं।सूतउपलब्धनहोनेसेसभीमशीनेंबंदपड़ीहैं।तैयारमालआसपासकीमंडीवमेरठभेजतेथे।लॉकडाउनकेकारणकहींभीसूतउपलब्धनहींहै,इससेधंधाचौपटहोगयाहै।

-भारतनरेश।घरमेंदोमशीनेंलगीहैं,पतिवतीनबच्चोंकेसाथचादरबुननेकाकामकरतेहैं।दिनमें200से250रुपयेतककमालेतेथे,लेकिनसूतउपलब्धनहोनेसेतीनमाहसेकामबिल्कुलबंदपड़ाहै।

-रूपवती।पहलेडैमेजसूतलाकरकामकरतेथे,जिससेएकचादरपर20रुपयेकमालेतेथे,लेकिनअबकेवलएकनंबरकासूतहीमिलपाताहै।जिससेएकचादरपरबमुश्किलसे10रुपयेहीकमापातेहैं।तीनमहीनेसूतउपलब्धनहींहोपारहाहै,जिससेमशीनेंबंदपड़ीहैं।मजदूरीकरपरिवारकीगुजर-बसरकररहेहैं।

-रामचंद्र।कुछसमयपहलेगांधीआश्रमकाकाममिलताथा।वहसूतदेकर20रुपयेचादरबुनाईदेतेथे,लेकिनअबवहकामभीबंदहोगयाहै।बाजारमेंसूतमिलनहींरहाहै,धंधापूरीतरहसेठपहै।

-कृष्णादेवी।अपनेहाथकेबनाएकपड़ेपहनते

50वर्षोंसेहथकरघामशीनचलारहे75वर्षीयहीरालालकीबूढ़ीकलाइयोंमेंआजभीइतनादमहैकिवहअपनेहाथकेबुनेहुएकपड़ेहीपहनतेहैं।बुनकरहीरालालनेबताया20वर्षकीउम्रसेकपड़ेबनानेकाकामकररहेहैं।75वर्षकीउम्रहोनेकेबावजूदवहखुदअपनेहाथकेबुनेहुएकपड़ेहीप्रयोगकरतेहैं।