लोक संस्कृति व पारस्परिक सौहा‌र्द्र का प्रतीक फूलदेई

जागरणसंवाददाता,बागेश्वर:मनुष्यस्वभावसेहीउत्सवप्रियहोताहै।पर्वआपसीप्रेमकोबढ़ातेहुएसंस्कृतिवपर्यावरणसंरक्षणकेवाहकहोतेहैं।सूर्यकेमीनराशिमेंप्रविष्टहोतेहीपूर्णवसंतकाआगमनहोताहै।जिसप्रकारवसंतऋतुमेंप्रकृतिनवपल्लवोंसेमुक्तहोकरआनंदितहोतीहै।उसीप्रकारमानवमनभीप्रफुल्लितहोआनंदमनाताहै।इसीकालखंडमेंचैत्रमासकेरूपकीसंस्कृतिकोफूलदेईयाफूलियासंक्रांतकेरूपमेंमनायाजाताहै।

छोटे-छोटेबटुकवबालाएंथालीवटोकरीमेंबसंतकेप्रतिनिधिबुरांश,सरसों,प्योली,मिझोल,सिजफोड़आदिकेफूलवचालरखकरअपनेघरोंकीदेहलियोंकीपूजाकरतेहै।उसकेबादगांवऔरपड़ोसमेंजाकरलोगोंकेघरोंकीपूजाकरतेहुएमंगलगानकरतेहैं।फूलदेईदेहलीफूलोंसेभरपूरवमंगलकारीहो,छमादेईदेहलीक्षमाशीलअर्थातसबकीरक्षाकरे,दैणीद्वारदेहलीघरवसमयसबकेलिएसफलहो।भरिभकारसबकेघरोंमेंअन्नकापूर्णभंडारहो।इनमंगलगानोंकेबदलेबच्चोंकोगुड़,चावलवपैसाभेंटस्वरूपदियाजाताहै।भेंटमेंप्राप्तचावलकीसायंकालमेंखीरखाजायासायीबनाईजातीहै।जिसेआपसमेंवितरणकरप्रसादग्रहणकरतेहैं।डा.गोपालकृष्णजोशीनेकहतेहैंकिनिश्चयहीयहपर्वसामाजिकसमरसतावसौहार्दकाप्रतीकपर्वहै।इसप्रकारअन्नवधनकाआदान-प्रदानअभिमानकोदूरकरतेहुएसहअस्तित्वकीभावनाओंकोबढ़ाताहै।नववसंतवनवहिदीमासकेआरंभकायहपर्वउल्लासकेप्रतीककेसाथ-साथकृषियुगकामहानपर्वरहाहै।हिदीवर्षकाआरंभचैत्रसेऔरघरकाआरंभदेहरीयानीद्वारसेहोताहै।इसलिएप्रकृतिपूजनवद्वारपूजनसेयहफूलदेईपर्वलोकसांस्कृतिककार्यक्रमोंकाउदघाटनकरताहुआहमारेजीवनकोरसमयबनाताहै।भागदौड़जिदगीमेंयदिहमअपनेइनपर्वोंकीवैज्ञानिकताकोसमझेंतोनिश्चिततौरसेजीवनखुशहालबनेगा।संस्कृतिवसंस्कारोंकाक्षरणहीव्यक्तिकोतनावग्रस्तबनाताहै।

शांतिमयवखुशहालजीवनजीनेकेलिएहमेंअपनेक्षेत्रपर्वोंकीप्रासंगिकतासमझनीहोगी।फूल,देहरीयानीद्वारवभकारजबअक्षुण्णरहेंगेतभीहमअक्षुण्णरहसकतेहैं।-डा.गोपालकृष्णजोशी,प्रवक्ताइंका,क्वैराली,बागेश्वर।