दुमका:उपराजधानीदुमकासंतालपरगनाकाप्राचीनजिलाहै।यहांकीपौराणिकता,पूजापरंपरासदियोंपुरानीयादोंकोताजाकरदेतीहै।शनिवारकोअहलेसुबहमहालयाकेसाथमांकीआराधनानेवातावरणकोबदलदिया।रविवारकोकलशस्थापनाकेसाथशारदीयनवरात्रआरंभहोजाएगा।उपराजधानीभक्तिमेंडूबनेलगेगी।मांकेउपासकनौदिनोंतकनवदुर्गाकेपाठमेंलीनरहेंगे।इधर,पूरेक्षेत्रमेंशारदीयनवरात्रकीतैयारियोंनेजोरपकड़लियाहै।हरतरफउत्सवकामाहौलदेखनेकोमिलरहाहै।पूजापंडालोंकोजहांअंतिमरूपदेनेमेंकारीगरलगेहैं,वहींमूíतकारभीजीवंतरूपदेनेमेंजुटेहुएहैं।हालांकिदोदिनोंसेहोरहीबारिशसेइसमेंकुछव्यवधानपड़ाहै,लेकिनउत्साहमेंकमीनहींआईहै।चहुंओरमातारानीकेगीतोंसेशहरऔरगांवगूंजनेलगेहैं।पूजाकीखरीदारीकेलिएबाजारभीतैयारहैं।धीरे-धीरेखरीदारीपरवानचढ़ेगी।मॉलऔरशोरूममेंऑफरोंकीशुरुआतहोचुकीहै।पूजासमितियोंद्वाराविभिन्नतरहकीआकृतियोंकेपंडालकेनिर्माणकिएजारहेहैं।इधर,पूजनसामग्रियोंकीदुकानोंकेअलावाफलदुकानोंमेंभीभीड़लगनेलगीहै।
दुर्गापूजाकापहलादिनमहालया
हिन्दूकैलेंडरकेअनुसारमहालयाकीशुरुआतअश्विनमहीनेकीअमावस्यापरहोतीहै।महालयादुर्गापूजाकापहलादिनमानाजाताहै।मान्यताकेअनुसार,इसदिनलोगपूर्वजोंकोश्रद्धांजलिदेतेहैं।अकालमृत्युसेग्रसितलोगोंकाश्राद्धभीआजकेदिनहीकियाजाताहै।महालयाकामूलअर्थकुलदेवी-देवतावपितरोंकाआवाहनहै।15दिनोंतकपितृपक्षतिथिहोतीहैऔरमहालयाकेदिनसभीपितरोंकाविसर्जनहोताहै।अमावस्याकेदिनपितरअपनेपुत्रादिकेद्वारपरपिडदानएवंश्राद्धकीआशासेजातेहैं।पितरोंकोपिडदानऔरतिलांजलिकरनीचाहिए।लोगअमावस्याकेदिनपितरोंकातर्पणकरतेहैं।उनकोदियाहुआजलवपिडपितरोंकोप्राप्तहोताहै।पितृपक्षमेंदेवताअपनास्थानछोड़देतेहैं।देवताओंकेस्थानपर15दिनपितरोंकावासहोताहै।महालयाकेदिनपितरअपनेपुत्रादिसेपिडदानवतिलांजलिकोप्राप्तकरअपनेपुत्रवपरिवारकोसुख-शांतिवसमृद्धिकाआशीर्वादप्रदानकरअपनेघरचलेजातेहैं।महालयासेदेवताफिरअपनेस्थानपरवासकरनेलगतेहैं।पितृपक्षमें15दिनदेवताओंकीनहींपितरोंकीपूजा-अर्चनाहोतीहै।महालयासेदेवी-देवताओंकीपूजाशुरूहोजातीहै।