कजली महोत्सव में बिखरे उत्साह के रंग

जागरणसंवाददाता,महोबा:खेल,खिलौना,झूलागाड़ी,बच्चोंकोमेलेमेंखूबलुभारहेहैं

।महिलाओंकीभीड़भीकमनहींहै।मेलामेंबच्चोंकाउत्साहदेखतेहीबनरहाहै।मुन्नीकोगुड़ियाभारहीहैतोरोहितकोबंदूक।साथमेंआएपापाकहांपीछेरहनेवाले,उन्होंनेभीअपनीपसंदकीबुंदेलीलाठीखरीदी।कजलीमेलेमेंकईअलग-अलगरंगदिखरहेहैं।

बुंदेलखंडकेऐतिहासिक836वर्षपुरानेकजलीमेलेमेंइससमयसुबहसेहीकीरतसागरतटपरभीड़नजरआनेलगतीहै।महोबासंरक्षणएवंविकाससमितिकेसाथहीआल्हामंचपरहोनेवालेकार्यक्रमोंकालुत्फलेनेकेसाथहीलोगपरिवारसहितजमकरमनपसंदचीजोंकीखरीदारीकररहेहैं।मेलेमेंलगीलाठी,कुल्हाड़ीआदिकीदुकानेंतोहैंहीखेलखिलौनोंकीदुकानोंकीभीलंबीलाइनलगीहै।महिलाएंघरेलूसामानकपप्लेट,साजश्रृंगारसहितअन्यसामानोंकीखरीदमेंउत्साहितनजरआरहीहैं।सातदिनचलनेवालेमेलामेंरोजानालोगोंकीबड़ीसंख्यामेंभीड़उमड़रहीहै।महिलाएंअपनेबच्चोंकेसाथमेलामेंपहुंचरहीहैं।बच्चोंकोरिझानेकेलिएमिक्कीमाऊस,कारझूला,सर्कसआदिसजेहैं।शहरकेलोगोंकेसाथहीग्रामीणअंचलोंसेभीसैकड़ोंकीसंख्यामेंलोगमेलापहुंचरहेहैं।कजलीकामेलाकीरतसागरतटसेलेकरशहरकीसड़कोंकेकिनारेतकफैलाहुआहै।