बरहैनी के झारखंडी मंदिर में होते हैं भगवान भोलेनाथ के दर्शन

जयपालसिंहयादव,बाजपुर:भगवानशिवकेचरणझारखंडीजंगलमेंपड़ेथे।यहांप्राचीनशिवलिगकीस्थापनाशिवस्तुतिसेहुई।इसीधारणाकोलेकरलगभगतीनसौवर्षसेबुक्साजनजातिकेलोगपीढ़ीदरपीढ़ीअपनेधाíमकरीतिरिवाजोंकोइसीमंदिरमेंमनातेआरहेहैं।लगभग61सालसेमंदिरपरमेलालगताआरहाहै।बुक्साजनजातिसमेतदूरदराजकेसैकड़ोंलोगभीयहांमहाशिवरात्रिपर्वपरकांवड़चढ़ातेहैं।

झारखंडीकेप्राचीनमंदिरपरमहाशिवरात्रिपर्वपरलगनेवालेमेलेमेंपरंपराअनुसारबच्चोंकामुंडनकरायाजाताहै।माताएंअपनेबच्चोंकेकटेगएबालोंकोझोलीमेंडलवाकरमंदिरकेपासप्राचीनश्रोतमेंबहातीहैं।इसीपानीसेबच्चोंकोस्नानकराकरमंदिरमेंपूजाअर्चनाकीजाती।मंदिरकमेटीकेअध्यक्षविजयसिंहनेबतायाकिजनजातिसमुदायकेघोघासिंहचरवाहेकोलगभगतीनसौवर्षपूर्वजंगलमेंहीजानवरचुगातेझपकीलगी।सपनेमेंभगवानशिवनेस्वयंउन्हेंघनेजंगलकादृश्यदिखाकरइसमंदिरकीजानकारीदी।उन्होंनेइसस्थलपरझाड़ियांकाटकरशिवलिगतलाशकिया।माघमाहकेशुरूसेमहाशिवरात्रितककोईभीमांस-मदिराकासेवननहींकरनेऔरश्रद्धापूर्वकव्रतरखनेकेबादमहाशिवरात्रिपरभगवानशिवकोभोगलगाकरपरिवारकेसाथमंदिरमेंहीभोजनकरनेकीमान्यताशुरूहुई।मन्नतेंपूरीहोनेपरसदियोंसेयहमंदिरलोगोंकीआस्थाकाकेंद्रहै।मंदिरपरिसरमेंहैंदोप्राचीनशिवलिग

बाजपुर:मंदिरकमेटीकेलोगोंनेबतायाकिसन्1992मेंमंदिरकीदेखभालकररहेतत्कालीनबाबाकस्तूरीदासकीप्राचीनकुटियातोड़करजबउनकेलिएनयाभवनबनायातोवहांपरभीशिवलिगकीप्राप्तिहुई।वर्तमानमेंमंदिरमेंदोप्राचीनशिवलिगहैं।मंदिरकमेटीकेलोगोंकाउनकामाननाहैकियहांशिवस्तुतिहुईहै।स्वयंभोलेशंकरशिवभक्तोंपरकृपाकरतेहैं।इसकेचलतेहजारोंलोगोंकीआस्थामंदिरमेंहै।