नईदिल्ली[रणविजयसिंह]।अगरबच्चाखुदमेंखोयारहे।गुमसुमरहेऔरबातचीतकरनेमेंदिलचस्पीनहींलेतोयहगंभीरमामलाहोजाताहै। बच्चेकाखोया-खोयारहना,बातेंनकरना,नजरेंचुराताहैऔरअकेलेमेंरहना आटिज्मकेलक्षणोंमेंशामिलहै।एकअनुमानकेअनुसार,विश्वमें100मेंसेएकबच्चाइसबीमारीसेपीड़ितहोताहै।
वहीं,आटिज्मसेपीड़ित80प्रतिशतबच्चोंकोइसबीमारीकेसाथ-साथकुछदूसरेरोगभीहोतेहैं।वेआटिज्मसेमिलतेजुलतेकमसेकमअन्यएकयाउससेज्यादादूसरीबीमारीसेपीड़ितहोतेहैं।यहबातदिल्लीस्थितअखिलभारतीयआयुर्विज्ञानसंस्थानकेपीडियाट्रिकविभागकेन्यूरोलाजीडिविजनकेडाक्टरोंपरकिएगएअध्ययनमेंसामनेआईहै।
आटिज्मजागरूकतामाहकेमद्देनजरबृहस्पतिवारकोएम्समेंआयोजितएककार्यक्रममेंपीडियाट्रिकविभागकेन्यूरोलाजीडिविजनकीप्रमुखडा.शेफालीगुलाटीनेयहडाटाप्रस्तुतकरतेहुएकहाकिअक्सरलोगइसेसमझनेमेंभूलकरतेहैं।उन्होंनेकहाकिआटिज्मकेसाथकईबच्चोंकोहाइपरएक्टिविटी,मिर्गी,कमसमझइत्यादिकीसमस्याभीहोतीहै।कईबारलोगबच्चेकोसिर्फमनोवैज्ञानिकसेदिखातेहैं।किसीविशेषज्ञडाक्टरकोनहींदिखाते।
शेफालीगुलाटीकेमुताबिक,कईबच्चोंमेंमेटोबोलिकवकुछअन्यबीमारियांभीपाईगईं,इसलिएआटिज्मपीड़ितबच्चोंकीसमग्रजांचजरूरीहै।
एम्सकेनिदेशकडा.रणदीपगुलेरियानेकहाकिआटिज्मवन्यूरोविकाससेसंबंधितबीमारियांबढ़रहीहैं।कुछडाटामेंयहबातसामनेआईहैकिभारतमें30लाखलोगआटिज्मसेपीडि़तहैं।इसबीमारीकेप्रतिलोगोंमेंजागरूकताकाअभावहै,इसलिएसभीमामलेसामनेनहींआपाते।इसमेंसामाजिकसोचसबसेबड़ीचुनौतीहैं।बेहतरइलाजकेलिएबीमारीकीजल्दीपहचानजरूरीहै।
डा.रणदीपगुलेरियाकेअनुसार,आटिज्मवन्यूरोविकाससेसंबंधितबीमारियोंकेइलाजकेलिएविशेषज्ञोंकीभीकमीहै।ग्रामीणक्षेत्रोंमेंसमस्याअधिकहै।एम्सकेपीडियाट्रिकविभागकान्यूरोलाजीयूनिटआटिज्मवन्यूरोविकाससेसंबंधितबीमारियोंकेसमग्रइलाजकाढांचातैयारकरनेमेंजुटाहै।आटिज्मपीड़ितबच्चोंकेविकासकेलिएसहायतासिस्टमबनानाभीजरूरीहै।
राष्ट्रीयरजिस्ट्रीतैयारकररहाएम्स
एम्सनेआटिज्मपीड़ितबच्चोंकीदेखभालऔरउनकीमाता-पिताकीमददकेलिएएकपैरेंट्सएडवोकेसीग्रुपबनायाहै।इसकेअलावाआटिज्मवन्यूरोविकाससेसंबंधितबीमारियोंकेलिएराष्ट्रीयरजिस्ट्रीतैयारकरनेमेंभीजुटाहै।इसरजिस्ट्रीसेदूसरेअस्पतालभीजोड़ेजाएंगे।इससेआनेवालेसमयमेंमरीजोंकासहीआंकड़ापताचलसकेगा।कार्यक्रममेंडाक्टरोंनेयहभीसलाहदीकिमाता-पिताआटिज्मपीड़ितबच्चेकीरुचिपहचानें।पेंटिंग,संगीतवपढ़ाईमेंबच्चेकोजोसबसेज्यादापसंदहोउसमेंभविष्यबनानेकेलिएप्रोत्साहितकरनाचाहिए।