अनूठी परंपरा... यहां महिलाओं के साथ पुरुष भी एक दशक से कर रहे छठ, जानिए क्या कहते हैं छठ व्रती

बांका[दिलीपसिंहललन]।छठपर्वकीमहत्तासभीपर्वोसेअधिकमानाजाताहै।यहकईसरोकारोंसेजुड़ाहुआहै।स्वच्छता,पवित्रतासहितअन्यइसमेंशामिलहैं।इसकारणयहांमहिलाओंकेसाथपुरुषभीजनकल्याणकेलिएछठपर्वकरतेहैं।सभीनेमनिष्ठाकापालनकरनदीयातालाबमेंअस्ताचलगामीएवंउदीयमानभगवानभाष्करकोअघ्र्यदानकरतेहैं।

पुरुषछठव्रतियोंकीराय

पांचवर्षोंसेछठपर्वमनातेआरहेहैं।छठपर्वधार्मिककमसामाजिकअधिकहै।यहपर्वमानवजीवनकीसाफसफाई,संतुलितआहारएवंसमाजकेप्रत्येकवर्गकेसहयोगकासंदेशदेनेवालापर्वहै।किसीभीधर्ममेंऐसासंदेशपरकपर्वहैहीनहीं।इन्हींविशेषताओंकेकारणउक्तपर्वकोमनातेआरहेहैं

मुकेशमहतो,सादपुर

विगत12वर्षोंसेछठपर्वमनातेआरहेहैं।कईसामाजिकएवंचिकित्सीयविशेषताओंकेकारणवेछठकोजीवनसबसेअधिकमहत्वदेतेहैं।उक्तपर्वकोखुदमनानेकेबहुतफायदेउन्हेंमिलरहेहैं।बेहतरस्वास्थ्यघरमेंशांति,सुखएवंबालबच्चोंकेभीसुलझेविचारएवंकर्तव्यपरायणऔरक्याचाहिए।

मनोजपंडित,सादपुर

पांचसालपूर्वसेछठपूजाकरतेआरहेहैं।इसपर्वसेबड़ाकोईपर्वसामाजिकनहींहोसकता।बिनाब्राह्मणकेवेदमंत्रसेसंपन्नहोनेवालाछठजनमानसकोप्रभावितकरनेवालाअकेलापर्वहै।इन्हींसबविशेषताओंकेकारणवेखुदपर्वमनानेकेलिएतैयारहुएहैं।

सातसालोंसेपर्वकररहेहैं।यहपर्वजलसंरक्षणसेजुड़ाहै।बिनाजलभंडारकेपर्वसंभवनहींहै।इसलिएजलसंरक्षणजरूरीहै।सबसेमहत्वपूर्णबारहैकिइसपर्वमेंअस्ताचलगामीसूर्यएवंउगतेहुएसूर्यकीपूजाकीजातीहै।जलएवंदूधकाअघ्र्यदानकीजातीहै।

पांचूपंडित,फुल्लीडुमर