अनूठी है मेरठ के बिजौली गांव की होली, जहां बरसता है सद्भाव का रंग, जानिए क्‍या है 500 वर्ष पुरानी अनूठी परंपरा

मेरठ,जेएनएन।बरसानेकीलठमारहोलीतोविश्वविख्यातहैही, जिले केबिजौलीगांवकीहोलीभीखासहोतीहै।होलीपर्वपरयहांकरीब500वर्षपुरानीअनूठीपरंपराकानिर्वाहहोताहै।यहांसद्भावकारंगबरसताहै।दुल्हैंडीकेदिनरंगखेलेजानेकेबाददोपहरकोगांवमेंचारोंदिशाओंसेआधादर्जनतख्तनिकलतेहैं।जिनपरनुकीलेऔजारोंसेशरीरबेंधकरयुवाहाथमेंलाठीलिएखड़ेरहतेहैं।ग्रामीणोंकीभीड़इनतख्तकोहाथोंसेउठाएहोतीहैं।सभीतख्तजुलूसकेरूपमेंमोहल्लागंगापुरीमेंसाधुकीसमाधिपरजाकरसमाप्तहोजातेहैं।इसदिनकेलिएतैयारियांकाफीसमयपहलेशुरूहोजातीहैं।तख्तकाजगह-जगहस्वागतहोताहै।महिलाएंप्रसादकेरूपमेंगुड़औरआटासमर्पितकरतीहैं।जुलूसकेआगेयुवालाठीवतलवारसेपटाबाजीकेकरतबदिखाकरचलतेहैं।क्षेत्रवासियोंमेंमान्यताहैकिइसपरंपरासेगांवआपदासेबचताहैऔरधन-धान्यमेंवृद्धिहोतीहै।मोहल्लापछाला,खेड़ावाला,गुईलीवाला,धनौटियाआदिसेतख्तनिकालेजातेहैं।

कहाजाताहैकिगंगापुरीनामकेसाधुकरीब500वर्षपूर्वबिजौलीआएथे।गांवकेबाहरएकप्राचीनशिवमंदिरवकुएंकेपासआकरउन्होंनेधूनीरमाली।इसबीचपशुबीमारहोनेलगेऔरलोगोंमेंभीअज्ञातबीमारीफैलनेलगीऔरमौतेंहोनेलगीं।गांवकेबुजुर्गब्रहमदत्तफौजी,बालिस्टरफौजी,परमात्माशरणवप्रदीपत्यागीआदिबतातेहैंकिबीमारीनेमहामारीकारूपलेलियाथा।घरोंवखेतोंमेंभीआगलगनेलगीथी।गांवकेलोगतपकररहेसाधुगंगापुरीकेपासपहुंचे।तबउनकेसुझावनुसारतख्तनिकालनेकीपरंपराशुरूहुई।नुकीलेऔजारछुरी,सुईआदिकोयुवकअपनेशरीरमेंघुसवातेहैं।जिसकेबादवहतख्तपरसवारहोतेहैं।बुजुर्गकहतेहैंकिएकवर्षतख्तनहींनिकालेगएतोफिरआपदाआनेलगी।

नुकीलेऔजारसेखूनकीएकबूंदनहींनिकलती

नुकीलेऔजारोंसेशरीरबिंदनेपरयुवाओंमेंखूनकीएकबूंदनहींनिकलती।यहऔजारमुस्लिमलुहारबनातेहैंऔरहिंदुओंकेसाथयुवकोंकेशरीरमेंप्रविष्टभीकरातेहैं।बिंदनेसेपूर्वसिर्फहोलिकाकीराखशरीरपरलगाईजातीहै।पूर्वप्रधानबलराजत्यागी,ऋषित्यागी,अज्जूत्यागीवविनयत्यागीकहतेहैंकितख्तकीरस्मपूरीहोनेकेबादबिंधेयुवासाधुकीसमाधिपरजाकरशीशनमनकरतेहैं।जख्मसुखानेकेलिएहोलिकाकीराखहीकाफीहै।इसीसेजख्मसहीहोजातेहैं।बिंदनेवालायुवकएकसप्ताहतकतख्तयानीचेजमीनपरहीलेटतेहैं।बिंदनेकेलिएयुवाओंमेंहोड़लगतीहै।

औजारऔरवेशभूषातैयारकरनेमेंलगामुस्लिमपरिवार

बिजौलीकीहोलीएकताकीमिसालहै।लोगोंकाकहनाहैकिआरंभमेंमुस्लिमबुंदूखांनेऔजारतैयारकरयुवकोंकोबींधनेकाकामकियाथा।आजभीउसपरंपराकोबुंदुखांकेपरिवारसेबाबूऔरउनकाबेटासलीमनिभारहेहैं।