देवरिया:जीवनमेंकुछकरगुजरनेकाजुनूनहोऔरकड़ीमेहनतकीजाएतोकामयाबीकदमचूमतीहै।कोईभीमंजिलआसाननहींहोती,लेकिनदृढ़निश्चयहोतोमुश्किलभीनहींरहजाती।शिक्षकअमृतातिवारीनेयहसाबितकरदिखायाहै।इसमुकामतकपहुंचनेमेंकईबाधाआई,लेकिन,कभीहिम्मतनहींहारी।झंझवातोंकेसमंदरकोहौसलेसेपारकरअमृतानेसफलताकीइबारतलिखी।
अमृताकाजीवनसंघर्षकीकहानीहै।बरहजकेनंदनावार्डपश्चिमीनिवासीअमृताकीशादीवर्ष1999मेंबरहजथानाक्षेत्रकेग्रामपिपराभुल्लीनिवासीसुनीलकुमारमिश्रसेहुई।शादीकेबादपताचलाकिसुनीलकोला-इलाजबीमारीहै।कुछदिनोंतकतोपरिवारवालोंनेइलाजकराया,लेकिनफिरहाथखड़ेकर
दिए।इसीबीचअमृतानेएकपुत्रीकोजन्मदिया।अबअमृतापरपतिकेइलाजऔरपुत्रीकेपरवरिशकीदोहरीजिम्मेदारीआपड़ी।2005मेंसुनीलनेदमतोड़दिया।पतिकीमौतअमृताकेलिएकिसीवज्रपातसेकमनहींथी।मायकेवालोंकेसहयोगसेउसनेपरास्नातकवबीएडकिया।2010मेंप्राथमिकविद्यालयमेंनौकरीमिली।
तैयारकररहीभविष्यकीपौध
अमृताप्राथमिकविद्यालयकटइलवामेंप्रधानाध्यापकहैं।वहपढ़नेवालेबच्चोंकाजीवनसंवाररहीहैं।स्कूलमेंएकबेहतरमाहौलतैयारकिया।वहअलगसेअंग्रेजीविषयकीपढ़ाईकरातीहै।छात्र-छात्राएंकांवेंटस्कूलोंकीतर्जपरअंग्रेजीमेंबातचीतकरतीहैं।उनकाकहनाहैकिपढ़ाईकेसाथसंस्कारदेनाउद्देश्यहै।