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निराले बाबा ने अपने प्रवचन में कहा कि गाय को सर्वश्रेष्ठ माना गया है लेकिन जब बात गो रक्षा की करते हैं तो जिस प्रकार के संगठन की आशा की जाती है देखने को नही मिल पाता है जो ¨चतनीय है। पर्व मनाना तभी लाभप्रद होगा जब हम गोरक्षा का संकल्प लेकर सच्चे भारतीय होने का उदाहरण प्रस्तुत करेंगे। आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोचारण प्रारम्भ किया था। भगवान जब भी गौचारण के लिए जाते नंगे पैर जाते जिससे स्पष्ट हो जाता है उसकी पुज्यता का। उन्होंने कहा कि कृपा ऐसा अमृत प्रसाद हैं जिसे प्राप्त कर मनुष्य को वे सारे फल मिलते हैं, जिनकी उसे इच्छा होती है। गुरु सदैव सत्य का मार्ग बताते हैं। जो उस पर विश्वास नहीं करता है। वह कुमार्गी होकर अनेकानेक कष्ट भोगता है। उन्होंने कहा कि संतों की वाणी की आदर करना ही मनुष्य के जीवन की सफलता है। संत किसी का अनिष्ट नहीं सोचते। गुरु अपने शिष्य जो उसके प्राणों से भी अधिक प्रिय होता हैं हित की सोचता हैं। जो गुरु अपने अभिभावक रूप में देखता हैं वह उनका अनुसरण करता हैं, वह सांसारिक जीवन में तो सुखी होता है। साथी उसे प्रभु चरणों में ऊंचा स्थान मिलता हैं। प्रभु न तो अमीर को व न ही गरीब को मिलते हैं। वे अमीरी-गरीबी व जात-पात कुछ नहीं देखते। वे तो केवल निर्मल प्रेम ही देखते हैं।