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आचार्य प्रवर श्री दिव्यानंद सूरी‌र्श्वर जी महाराज निराले बाबा के सानिध्य में स्थानीय निराला भवन गुरु नानक नगर में मन्वय चातुर्मास 2017 के अंतर्गत आयोजित प्रवचन सभा आज भी रही । इस अवसर पर प्रवचन करते हुए निराले बाबा ने कहा मनुष्य अपने स्वभाव को वश में न कर पाने के फलस्वरूप क्रोध कर बैठता है, लेकिन वह क्रोध की बजाय कारणों की जानकारी कर उन पर काबू करने का प्रयास करें तो वह कई अनहोनियों से बच सकता हैं। व्यक्ति को उसकी इच्छानुरूप कार्य न होने से क्रोध आ जाता है, लेकिन क्रोध की स्थिति में तत्काल लिया गया निर्णय घातक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने क्रोध को शांत करने के उपाय बताते हुए मात्र 24 घंटे का समय लेकर उसका उतर दिया जाये तो क्रोध पर काबू पाया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति कितनी दयावान है जो हमें श्वास के लिए वायु तथा सूर्य का प्रकाश बिना मूल्य प्रदान करती है, परन्तु हम प्रकृति की तरफ कोई ध्यान नहीं देते। उन्होंने कहा कि वर्ष भर जो जप, तप और ध्यान लाभ हम कर पाते है, वह मात्र थोड़ा-सा क्रोध कर लेने से नष्ट हो जाता हैं। उन्होंने क्रोध को मानव जीवन को समाप्त करने का साधन बताया और कहा कि क्रोध पर विजय पाकर ही जीवन सफल किया जा सकता है। आचार्य प्रवर ने कहा कि जीवन में आने वाले संकट में कभी घबराना नहीं चाहिए अपितु संकट को टालने का पूरा प्रयत्न करना ही श्रेष्ठ उपाय हैं। उन्होंने कहा कि संकट से विचलित होने वाले प्राणी पंतगा रंग की तरह कच्चे होते हैं लेकिन संकट का मुकाबला करने वाले मजीठीया रंग की तरह दृढ़ निश्चिय होते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में आने के बाद कर्म फल तो भोगने पड़ते हैं, परंतु धर्म के प्रभाव से कर्म फल कुछ कम किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मानव का महत्व तो अदृष्ट को साक्षात करने में है, आत्मा रूपी तत्व का बोध पाने में है।