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आज इस समस्या से 3-4 साल के बच्चे भी अछूते नहीं रहे। मोबाइल व टैबलेट स्क्रीन से हद से ज्यादा चिपके रहने के कारण उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारीख की मानें, तो रात में बहुत देर तक मोबाइल स्क्रीन देखने से आंखों की रोशनी तक जा सकती है। स्लीपिंग साइकिल अव्यवस्थित होने से नींद न आने की बीमारी हो सकती है। इन दिनों ड्राई आइज की समस्या भी काफी देखी जा रही है। डॉक्टर्स की मानें तो एक वक्त के बाद आंखें थक जाती हैं, लेकिन लोग फिर भी थकी हुई आंखों से काम लेते रहते हैं। यह बड़ी दिक्कत है। इसमें बच्चों के साथ उनके पैरेंट्स शामिल हैं, जो अक्सर रात में लाइट्स बंद कर चैंटिंग या वीडियो देखते हैं। इस कारण स्क्रीन से निकलने वाली किरणें सीधे आंखों पर पड़ती हैं जिससे वे प्रभावी ढंग से काम करना बंद कर देती हैं। हाल ही में जामा पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित शोध के अनुसार, जिस तरह बच्चों को स्मार्टफोन और अन्य डिवाइसेज सीमित समय के लिए ही इस्तेमाल करने चाहिए, उसी तरह पैरंट्स को भी इन पर कम समय बिताना चाहिए।