dhs aurangabad recruitment 2016

किसानों ने बताया कि यहां छह महीने के लिए एक हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन मिल जाती है। पहले इस जमीन को समतल बनाया जाता है और फिर इसके बाद खेत में तीन गुना तीस फुट के आकार की डेढ़ से दो फुट गहरी बड़ी-बड़ी नालियां बनाई जाती हैं। इन नालियों में एक तरफ तरबूज, खरबूजा, खीरा, बतिया के बीज बो दिए जाते हैं। पौधों को तेज धूप या पाले से बचाने के लिए बीजों की तरफ वाली नालियों की दिशा में छतरी लगा दी जाती है। एक पौधे से 50 से 100 फल तक मिल जाते हैं। हर पौधे से तीन दिन के बाद फल तोड़े जाते हैं। खेती में परिवार की महिलाएं भी हाथ बंटाती हैं।