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इस घटना के बाद उनके मन में यह भाव आया कि ऑक्सीजन की पहल हो ताकि कुछ लोगों की जिंदगी बच जाए। किसी तरह से नौ सिलेंडर व 11 रेगुलेटर की खरीदारी की। उसके बाद से जिस जरूरतमंद का फोन आता है, उसको ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे हैं। यदि जरूरतमंद के स्वजन माडीपुर पावर हाउस चौक पर आकर ले जाने में सक्षम हैं तो ठीक वरना अपनी बाइक से उसके घर तक सिलेंडर पहुंचाते हैं। इसके बाद मरीज की नियमित सुध लेते रहते हैं। इस तरह पीडि़त मानवता की सेवा में जुटे हुए हैं। ब्रह्मपुरा के राकेश कहते हैं कि एकबाल भाई न होते तो उनकी जान नहीं बच पाती। 20-25 हजार देने के बाद भी ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल रहा था। कहीं से नंबर लेकर फोन किया उस समय वह मदद किए। आशिफ एकबाल कहते हैं कि वह सुबह उठकर गर्म पानी पीते हैं। दिन में एक से दो बार काढ़ा का सेवन करते हैं। समय पर घर का भोजन करते हैं। मास्क लगाकर ही बाहर निकलते हैं ताकि खुद संक्रमण से बचें, तब दूसरे को संक्रमित होने से बचा पाएंगे।