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10 साहित्यकारों ने की है हिदीसभा की अध्यक्षता विनीत पांडेय, सीतापुर: हिदीसभा हिदी प्रेमियों के लिए किसी तीर्थ मंदिर से कम नहीं है। यहां रखे हिदी के दुर्लभ ग्रंथ व मूर्धन्य साहित्यकारों, कवियों की पांडुलिपियां मंदिर की मूर्ति के समान हैं। पिछले आठ दशक से इस हिदीसभा पुस्तकालय ने अनेक साहित्यकार तैयार किए हैं। जिन्होंने केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक हिदी के प्रकाश को पहुंचाया है। यहां होने वाली साहित्यिक संगोष्ठियों में ख्यातिलब्द्ध कवियों व साहित्यकारों ने भी अध्यक्षता व सहभागिता की है। इसके अलावा जनपद के अनेक साहित्यकारों ने हिदीसभा की अध्यक्षता व पदाधिकारी का दायित्व निभाया है। हिदीसभा पुस्तकालय में सुबह व शाम लगभग युवा व वृद्ध यहां आकर समाचारपत्र, पुस्तकें आदि का अध्ययन करते हैं। साथ ही सदस्य होने के नाते पुस्तकालय के नियमों का पालन करते हुए पुस्तकें अपने घर भी ले जाते हैं। आठ दशक पूर्व हुई थी हिदीसभा की स्थापना :हिदीसभा पुस्तकालय की स्थापना 31 अक्टूबर 1940 समालोचक आचार्य कृष्ण बिहारी मिश्र, डॉ. नवल बिहारी मिश्र, मजिस्ट्रेट विशम्भर नाथ मेहरोत्रा ने लालबाग शहीद पार्क में की थी। उनको इसकी प्रेरणा राजर्षि पुरुषोत्मदास टंडन ने दी थी। हिदीसभा की स्थापना में पं. कृष्ण दत्त त्रिवेदी, बलभद्र प्रसाद दीक्षित पढ़ीस, उमा प्रसाद बाजपेई सुजान, पं. वंशीधर शुक्ल, केदार नाथ त्रिवेदी नवीन, पं. रामस्वरूप अवस्थी, पं. अवधेश अवस्थी, हरिस्वरूप चौधरी, त्रिभुवन दत्त पांडेय, भोलानाथ गुप्ता, कामरेड मदन गोपाल, अवधेश सिन्हा, रामस्वरूप ललाम, गंगाधर मिश्र, ईश्वरदास अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण शर्मा का योगदान रहा है। साहित्यिक संगोष्ठियों में शामिल हो चुके नामचीन साहित्यकार