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टांडा तहसील क्षेत्र में उत्तरी सीमा पर बहती घाघरा नदी के दो जलधारा के बीच बड़ी आबादी बसती है। तकरीबन पांच हजार की आबादी टापू जैसा आबाद है। मांझाकला, मांझा उल्टहवा, मांझा करमपुर बरसावा, मांझा चितौरा गांवों के परिवारों की जिदगी इसी टापू पर बसती है। नदी की रेत पर खेती और पशुपालन सैकड़ों वर्षों से ग्रामीणों के जीवकोपार्जन का सहारा है। नदी की सैकड़ों हेक्टेयर भूमि के विशाल क्षेत्र में अन्न उगाने वाले किसानों के पास भौमिक अधिकार के कागज नहीं होने के कारण बाढ़ से तबाही होने पर पेट भरने के सहयोग के अलावा कुछ भी नसीब नहीं होता। प्रत्येक वर्ष उफनाती घाघरा नदी में आने वाली बाढ़ तबाही मचाती है। वापस लौटते समय ऊपर से शांत दिखने वाली नदी की जलधारा कभी उत्तरी तट तो कभी दक्षिणी तट की भूमि को काटकर अपने आगोश में समाहित कर लेती है। कच्चे-पक्के मार्गों को भी नदी की लहरें तबाह करती हैं।